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Rakshabandhan in Nimar: मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में रक्षाबंधन से पहले निभाई जाती है ‘वीरपोस’ परंपरा, जिसमें भाई बहन के घर अनाज, कपड़े और मिठाई लेकर जाता है. जानिए इस परंपरा के पीछे छिपे सामाजिक और भावनात्म…और पढ़ें
मध्यप्रदेश का मालवा-निमाड़ क्षेत्र सिर्फ अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि यहां की परंपराएं भी इतनी जीवंत और आत्मीय होती हैं कि आधुनिक समय में भी इनका महत्व कम नहीं हुआ है. ऐसी ही एक अनूठी और दिल को छू लेने वाली परंपरा है ‘वीरपोस’.
‘वीरपोस’ एक लोक परंपरा है जो रक्षाबंधन से लगभग पंद्रह दिन पहले निभाई जाती है. इस परंपरा में भाई अपनी बहन के घर अनाज, कपड़े, मिठाई और उपहार लेकर पहुंचता है. ये केवल चीजें नहीं होतीं ये होते हैं प्रेम, सम्मान और जिम्मेदारी के प्रतीक.
कहां से शुरू हुई ये परंपरा?
एक रिश्ता, जो केवल राखी तक सीमित नहीं
निमाड़ के उदाहरण जो प्रेरणा बन गए
डॉ. सेवकराम मालवीया खार से चलकर अपनी बहन भगवती बाई के कुमठा (खंडवा) घर पहुंचे.
दिनेश चौधरी और भावेश पटेल जैसे कई भाई आज भी यह परंपरा पूरे सम्मान के साथ निभा रहे हैं.
आज जब परिवारों में दूरी और व्यस्तता बढ़ रही है, ऐसे समय में वीरपोस जैसी परंपराएं रिश्तों को फिर से जोड़ने और मजबूत करने का काम करती हैं. यह न सिर्फ भाई-बहन के प्रेम को दर्शाती है, बल्कि समाज में सहयोग और संवेदना को भी बढ़ावा देती है.
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