तवा-नर्मदा संगम बांद्राभान में कार्तिक पूर्णिमा का मेला: डेढ़ लाख श्रद्धालु पहुंचने की संभावना, इसबार संगम के बजाय तवा नदी में स्नान – narmadapuram (hoshangabad) News

तवा-नर्मदा नदी संगम स्थल बांद्राभान में रेत पर लगा मेला।

मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा और तवा नदी के संगम स्थल बांद्राभान में इस समय पारंपरिक रेत का मेला लगा हुआ है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां करीब डेढ़ लाख श्रद्धालुओं के स्नान करने की संभावना है।

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हालांकि इस बार संगम स्थल तक पानी भर जाने से श्रद्धालु तवा नदी में ही स्नान कर पाएंगे। प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से बैरिकेड्स लगाए हैं, ताकि कोई भी श्रद्धालु नदी पार कर संगम टापू तक न जा सके।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया।

चार दिन का मेला, दूसरे दिन उमड़ी भीड़

चार दिवसीय मेले के दूसरे दिन मंगलवार शाम से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। देर रात तक 20 हजार से अधिक लोग बांद्राभान पहुंच चुके थे। मेले में करीब 500 अस्थाई दुकानें और झूले लगे हैं। प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं।

श्रद्धालु रेत पर ही पूजन-पाठ कर दाल-बाटी, चूरमा बनाकर मां नर्मदा को भोग लगा रहे हैं। मेले में 14 पार्किंग स्थल और एक मुख्य बैरियर बनाया गया है ताकि यातायात सुचारु रहे।

दूसरे दिन यानी मंगलवार शाम का दृश्य

दूसरे दिन यानी मंगलवार शाम का दृश्य

बांद्राभान संगम पर स्नान का विशेष महत्व

मध्य प्रदेश के पवित्र बांद्राभान संगम स्थल पर नर्मदा और तवा नदी के संगम में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर स्नान करने का विशेष धार्मिक महत्व होता है। मोक्ष की कामना के साथ प्रदेश और देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं।

गहरे पानी में जाने से रोकने के लिए बांस-बल्ली से घेरा

प्रशासन ने गहरे पानी से श्रद्धालुओं को दूर रखने के लिए करीब 10-12 फीट की दूरी पर बांस और बल्लियां लगाई हैं। सुरक्षा के लिए कुशल तैराक, गोताखोर, पुलिस और होमगार्ड की टीमें तैनात की गई हैं।

नदी क्षेत्र में मोटरबोट से पेट्रोलिंग, वॉच टावर, सर्च लाइट, वायरलेस सेट और लाइफ जैकेट की व्यवस्था की गई है।एसडीएम जय सोलंकी, डीएसपी संतोष मिश्रा, एसडीओपी जितेंद्र पाठक, प्लाटून कमांडेंट अमृता दीक्षित और अन्य अधिकारी स्थल पर डटे हुए हैं। साथ ही एक सेंटर बनाया गया है जहां लोग अपने परिजनों से बिछड़ने और खो जाने की अनाउसमेंट करा सकते हैं। अस्थाई पशु चिकित्सालय और रेस्क्यू टीम भी सक्रिय हैं। मधुमक्खी एवं सर्प से बचाव के लिए भी टीम तैनात की गई है।

गहरे पानी से जाने से बचने के लिए बांस की बल्लियां लगाई गई हैं।

गहरे पानी से जाने से बचने के लिए बांस की बल्लियां लगाई गई हैं।

संगम स्नान का धार्मिक महत्व

कार्तिक पूर्णिमा पर नर्मदा और तवा के संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है। इस दिन श्रद्धालु पूजन, दीपदान कर मां नर्मदा को दाल-बाटी चूरमा का भोग लगाते हैं। नर्मदा परिक्रमा की होती है शुरुआतबांद्राभान मेले से ही नए परिक्रमावासी नर्मदा परिक्रमा शुरू करते हैं। परिक्रमा चातुर्मास में स्थगित रहने के बाद एकादशी के पश्चात पुनः प्रारंभ होती है।

संगम का महत्व: नारद और रानी को खोया मुख वापस मिला था

आचार्य नरेश परसाई के अनुसार, नर्मदा और तवा नदियों के संगम स्थल को बांद्राभान कहा जाता है। “बांद्रा” का मतलब है बंदर और “भान” का अर्थ है किसी चीज का आभास या एहसास। नर्मदापुराण में बताया गया है कि जब देव ऋषि नारद का चेहरा बदल गया था, तब उन्होंने इस संगम स्थल पर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से उन्हें अपना खोया हुआ चेहरा वापस मिल गया था।

एक और कथा के अनुसार, राजा सत्यसेन की पत्नी श्रृंगारबल्लरी का चेहरा वानर (बंदर) जैसा था। एक बार राजा और रानी शिकार के लिए इस क्षेत्र में आए। रानी को अपने पिछले जन्म की बातें याद थीं। उन्होंने सैनिकों से कहा कि संगम के पास बांस की झुरमुट में उनकी पुरानी खोपड़ी टोकरी में रखी है, उसे ले आएं। जब रानी ने उस बंदर की खोपड़ी को नर्मदा-तवा संगम के पवित्र जल में प्रवाहित किया, तो उन्हें अपना असली चेहरा वापस मिल गया।

कहा जाता है कि यह स्थान कई ऋषि-मुनियों और तपस्वियों की तपोभूमि रहा है। लोग मानते हैं कि बांद्राभान संगम पर साधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आचार्य नरेश परसाई, नर्मदापुराण, कथावाचक

आचार्य नरेश परसाई, नर्मदापुराण, कथावाचक

धार्मिक स्थल है बांद्राभान संगम प्रायद्वीप जैसा

बांद्राभान वह जगह है जहां मध्य प्रदेश की दो जीवनदायिनी नदियां — मां नर्मदा और तवा नदी — मिलती हैं। यह संगम स्थल बहुत सुंदर और विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। नर्मदा कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य ओ.एन. चौबे के अनुसार, यह जगह प्रायद्वीप जैसी है — यानी तीन ओर से पानी से घिरी और एक ओर से जमीन से जुड़ी हुई। संगम के पास मंदिर और घाट बने हैं, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा और स्नान करने आते हैं। मकर संक्रांति और कार्तिक पूर्णिमा के समय यहां हजारों लोग जुटते हैं। यह स्थान धार्मिक होने के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है।

अन्य घाटों पर भी होगी आस्था की डुबकी

बांद्राभान के अलावा नर्मदापुरम जिले के सेठानी घाट, विवेकानंद घाट, आंवलीघाट, सूरजकुंड घाट, नेमावर और ओंकारेश्वर में भी श्रद्धालु स्नान करेंगे। उज्जैन की शिप्रा नदी में भी बड़ी संख्या में लोग आस्था की डुबकी लगाएंगे। सेठानी घाट पर शाम को महाआरती और महिलाओं द्वारा दीपदान का आयोजन किया जाएगा।

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