टाटा मोटर्स की पहली महिला इंजीनियर, नौकरी मिलने की भी है रोचक कहानी

नई दिल्ली. इंफोसिस संस्‍थापक नारायण मूर्ति की पत्‍नी और मशहूर लेखिका सुधा मूर्ति का आज जन्‍म दिन है. सुधा मूर्ति को टाटा मोटर्स की पहली महिला इंजीनियर होने का गौरव हासिल है. वे अपने कॉलेज में अकेली इंजीनियरिंग पढने वाली लड़की थी. टाटा मोटर्स, जिसे पहले टेल्‍को कहा जाता था, में लड़कियों और महिलाओं को इंजीनिर की नौकरी नहीं दी जाती थी. एक भर्ती विज्ञापन में यह देखकर उन्‍होंने जेआरडी टाटा को गुस्‍से में पत्र लिखा. इसी खत से कंपनी की नीति बदल गई और महिलाओं के लिए दरवाजे खुल गए. सुधा मूर्ति के पति नारायण मूर्ति की नेटवर्थ ₹37,410 करोड़ रुपये है. सुधा के पास इंफोसिस की 0.93 फीसदी हिस्‍सेदारी है, जिसकी कीमत जून, 2025 के अंत तक 4970.1 करोड़ रुपये थी.

सुधा मूर्ति अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देती हैं. उनके पिता आरएच कुलकर्णी सर्जन थे. सुधा मूर्ति ने कहा कि उनके पिता ने उन्‍हें उस समय इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराई, जब इंजीनियरिंग को केवल लड़कों का क्षेत्र माना जाता था. उन्होंने बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (अब केएलई टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी) से 1972 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की.

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कॉलेज में नहीं था महिला शौचालय

मिंत्रा और कल्ट के संस्थापक मुकेश बंसल के साथ एक पॉडकास्ट में मूर्ति ने बताया था कि 17 साल की उम्र में जब उन्होंने इंजीनियरिंग के लिए आवेदन किया तो हर कोई हैरान था. ऐसा इसलिए था क्‍योंकि उस समय इंजीनियरिंग को लडकों का ही क्षेत्र माना जाता था. उनके कॉलेज में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं था, क्योंकि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि कोई महिला इंजीनियरिंग की पढ़ाई करेगी. सुधा ने बताया,”मैं अपनी कॉलेज में अपनी क्लास में अकेली लड़की थी. उन्होंने शौचालय नहीं बनवाए. मैंने कहा, कोई बात नहीं. मैं सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक पानी नहीं पिउंगी. फिर मैं पैदल घर लौटूंगी, शौचालय जाउंगी, दोपहर का खाना खाउंगी और फिर दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक लैब में रहूंगी.

सुधा मूर्ति का कहना है कि उनकी दादी सहित बहुत से लोगों को डर था कि इंजीनियरिंग की पढाई करने के बाद उनको अच्‍छा पति नहीं मिलेगा. लेकिन, उनके पिता उनके साथ डटकर खड़े रहे. इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के चार सालों में उन्होंने कोई छुट्टी नहीं ली. ऐसा उन्‍होंने इसलिए किया ताकि उन्‍हें किसी से नोट्स न मांगने पड़े.

गुस्‍से में जेआरडी टाटा को लिखा पत्र

जब सुधा कॉलेज में पढ़ाई कर रही थीं तब उन्होंने कैंपस में टाटा मोटर्स की ओर से लगाए गए इश्तेहार देखे. कंपनी को इंजीनियर्स की तलाश थी. हालांकि, इस ऐड में एक बात सुधा मूर्ति को खटक गई. उसमें लिखा था कि यह वैकेंसी केवल पुरुषों के लिए है. चूंकि, उस समय इंजीनियरिंग को पुरुषों का ही पेशा समझा जाता था इसलिए कंपनी ‘नो वीमेन पॉलिसी’ के तहत काम करती थी. यह बात सुधा मूर्ति को जची नहीं.

गुस्‍से में उन्‍होंने जेआरडी टाटा को पत्र लिखा. लेटर में उन्‍होंने लिखा, “सर जेआरडी टाटा, जब देश आजाद नहीं था तब आपके देश ने केमिकल्स, लोकोमोटिव, आयरन और स्टील इंडस्ट्री की शुरुआत की. आप हमेशा समय से आगे रहे. आज समाज में 50 फीसदी पुरुष तो 50 फीसदी महिलाए हैं. अगर आप महिलाओं को अवसर नहीं देंगे तो आप औरतों से उनकी सेवा का अवसर छीन रहे हैं. इसका मतलब है कि देश आगे नहीं बढ़ेगा. अगर महिलाएं पढ़ेंगी नहीं और उन्हें रोजगार के अवसर नहीं मिलेंगे तो ये समाज और देश कभी आगे नहीं बढ़ेगा, यह आपकी कंपनी की एक गलती है.”

बदल गई टाटा मोटर्स की नीति

उनके पत्र का नतीजा रहा कि टाटा ग्रुप ने नो वीमन पॉलिसी को ही खत्म कर दिया और सुधा मूर्ति पुणे में टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (टेल्को) में नियुक्त होने वाली पहली महिला इंजीनियर बनीं. सुधा मूर्ति ने कपिल शर्मा शो में बताया कि वे करीब 50 साल बाद अप्रैल, 2023 में टाटा मोटर्स पुणे फैक्‍टरी में गई तो उन्‍होंने देखा की वहां 300 लड़कियां काम कर रही थी. उन्‍होंने कहा, “यह देखकर मैं भावुक हो गई. यह सब मेरे पिता की वजह से संभव हुआ. उन्‍होंने दुनिया से लड़कर मुझे इंजीनियरिंग पढ़ाई. मेरे सपनों को पूरा करने में मदद की. ये इज्‍जत, शोहरत और अवार्ड, सब उनकी देन है.”

लिखी हैं 40 से ज्‍यादा किताबें

सुधा मूर्ति ने 40 से ज्यादा किताबें लिखी हैं. उनकी बेस्टसेलर किताबों में ‘थ्री थाउजेड स्टिचेज”, ‘डॉलर बहू’ और ‘वाइज एंड अदरवाइज’ शामिल हैं. सुधा मूर्ति के साहित्यिक कार्यों को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें 2023 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2006 में साहित्य के लिए आर.के. नारायण पुरस्कार और 2020 में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार शामिल हैं. सुधा मूर्ति को 2006 में महिला उत्थान के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.

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