हरिद्वार5 घंटे पहले
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ग्रंथ जीवंत तीर्थ और देव प्रतिमाओं की तरह हैं। ग्रंथों में देवताओं का संपूर्ण बल समाहित है। ऐसा भी कह सकते हैं कि पुस्तकों में ऐश्वर्य, विभूति, मुग्धता, माधुर्य और अत्यंत सौंदर्य समाया हुआ है। पुस्तकें ज्ञान का भंडार हैं। हमारी बहुत सी दुविधाएं उसी समय मिट जाती हैं, जब हम ज्ञान के साथ जुड़ते हैं। पुस्तकें स्थाई समाधान देती हैं। मनुष्य के सारे भय-भ्रम ग्रंथों और पुस्तकों से दूर हो जाते हैं।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए किन लोगों के विचार हमेशा सकारात्मक रहते हैं?
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