महंगी शिक्षा का बोझ झेल रहे श्रमिक परिवारों के बच्चों के लिए शिक्षिका सुनीता डोसी ने 8 साल पहले जो पाठशाला शुरू की थी, वह आज एक संगठित शिक्षण संस्था बन चुकी है। सुनीता डोसी ने साल 2017 में एक सुबह घर के सामने से एक बच्चे को इसलिए रोते हुए जाते देखा थ
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इस घटना ने शिक्षिका सुनीता की जिंदगी ही बदल दी और उन्होंने पति दिनेश डोसी से चर्चा के बाद नवलखा, जानकी नगर और आसपास के श्रमिक परिवारों के सैकड़ों बच्चों को पढ़ाने के िलए दुर्गा नगर स्थित अपने घर के एक हिस्से को ही स्कूल में तब्दील कर दिया, जिसको नाम दिया – सुनीति शिक्षण एवं सेवा संस्था।
बच्चे सुनीता चाची बुलाते हैं, 6 अन्य शिक्षक भी पढ़ाते हैं
सुनीता ने 8 साल पहले एक जरूरतमंद बच्चे को नि:शुल्क पढ़ाने से शुरूआत की, लेकिन आज बच्चों की संख्या बढ़कर 120 तक पहुंच गई। ये बच्चे कक्षा पहली से 10वीं तक के हैं, जो शहर के विभिन्न सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। इनकी कोचिंग का जिम्मा सुनीता ने ले रखा है।
बच्चे उन्हें सुनीता चाची पुकारते हैं। वर्तमान में सुनीता के साथ 6 शिक्षक भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जिन्हें वे निजी तौर पर मानदेय दे रही हैं। बच्चों के लिए दोपहर का भोजन भी दिया जाता है। इसके अलावा स्कूल फीस, किताब, बस्ते और यूनिफार्म से लेकर बच्चों के परिजनों के लिए भी दवाई और राशन आदि की मदद दी जाती है। स्कूल का न तो किसी सरकारी संस्थान से कोई संबंध है और न ही किसी से कोई आर्थिक मदद ली जाती है।
शिक्षक, नर्स, तकनीशियन बने बच्चे… अब तक 200 से अधिक विद्यार्थी यहां से पढ़ने के बाद बाद शिक्षक, नर्स बने या टेक्नालॉजी के क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं। पिछले सत्र में इस संस्थान के 16 बच्चों ने 90 से 98%, 8 बच्चों ने 80 से 90% और 14 बच्चों ने 70% अंक प्राप्त किए।
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