मीडिया प्लेटफॉर्म HT से डॉ. अमृता होसाल्ली करजोल, जो कि बेंगलुरु स्थित एक प्रमुख स्किन सेंटर की चीफ डर्मेटोलॉजिस्ट हैं. उन्होंने बताया कि “थोड़ी-बहुत हेयर शेडिंग नॉर्मल होती है, लेकिन जब बाल जरूरत से ज्यादा गिरने लगते हैं, तो समझ जाइए कि शरीर हमें कोई संकेत दे रहा है.” वह कहती हैं कि अगर समय रहते सही जांच और इलाज न किया जाए, तो बालों की जड़ें स्थायी रूप से कमजोर हो सकती हैं.
आज की लाइफस्टाइल में महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन बहुत आम हो गया है. विशेष रूप से थायरॉइड, PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) जैसे डिसऑर्डर से ग्रस्त महिलाओं में एंड्रोजन लेवल बढ़ जाता है, जो बालों की जड़ों को कमजोर कर देता है. इससे बाल पतले होने लगते हैं और सिर के बीचोंबीच बालों का झड़ना शुरू हो जाता है. अगर समय पर इसका इलाज न हो तो बाल वापस आना मुश्किल हो सकता है.
ऑटोइम्यून और सूजन से जुड़ी बीमारियां
कुछ मेडिकल कंडीशन्स जैसे Alopecia Areata, लुपस (Lupus) और प्सोरायसिस (Psoriasis) जैसी बीमारियों में शरीर की इम्यून सिस्टम अपने ही हेल्दी टिश्यूज़ और बालों की जड़ों पर हमला करने लगती है. इसका परिणाम यह होता है कि सिर के अलग-अलग हिस्सों में बालों के गोल-गोल पैच झड़ने लगते हैं. कभी-कभी ये झड़ना इतना तेज होता है कि आइब्रो, दाढ़ी और शरीर के अन्य हिस्से भी प्रभावित हो सकते हैं.
बीमारी के बाद की थकावट और पोषण की कमी
अगर आप हाल ही में किसी गंभीर बीमारी जैसे कि कोविड-19, डेंगू या वायरल बुखार से उबरे हैं, तो बालों का झड़ना सामान्य हो सकता है. इसे Telogen Effluvium कहा जाता है, जिसमें शरीर की थकावट और पोषण की कमी से बाल शेडिंग फेज में चले जाते हैं. साथ ही अगर आपके शरीर में प्रोटीन, आयरन, विटामिन D, और अन्य जरूरी पोषक तत्वों की कमी है, तो यह बालों की ग्रोथ पर सीधा असर डालता है. सबसे पहले बाल झड़ने की वजह जानना जरूरी है. डॉक्टर की सलाह से ब्लड टेस्ट, हार्मोन लेवल चेक और स्कैल्प एग्जामिनेशन करवाना चाहिए. संतुलित डाइट लें, जिसमें पर्याप्त प्रोटीन, विटामिन और आयरन शामिल हो. साथ ही स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए योग, मेडिटेशन या पर्याप्त नींद पर ध्यान दें.