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Water Chestnut Farming: आज हम आपको एक ऐसे सफल किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जो कभी मजदूरी करते थे. आज ये किसान मजदूरी और पलायन छोड़ अपने गांव में ही रहकर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. आइए जानते हैं, इस किसान की सफल कहानी.
Water Chestnut Farming: छतरपुर जिले के किसान जय स्वरुप रैकवार जो पिछले 3 साल से सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं. जय स्वरुप का कहना है कि सिंघाड़े की खेती 3 महीनों में तैयार हो जाती है और इसका भाव भी मार्केट में अच्छा रहता है जिससे कि यह मुनाफे की खेती बन जाती है. आज उन्हें सभी लोग एक सफल किसान कहते हैं. किसान सिंघाड़ा की खेती से मालामाल हो रहे हैं. यह खेती न केवल किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है बल्कि यह क्षेत्र में रोजगार और आर्थिक समृद्धि का साधन भी बन रही है.
मजदूरी छोड़ बने सिंघाड़ा किसान
जय स्वरूप बताते हैं कि मैंने पिछले तीन साल से सिंघाड़ा खेती शुरू की है. हालांकि, बचपन में पिताजी के साथ सिंघाड़ा खेती सीखी थी. लेकिन बीच में मजदूरी करने लगा था यानी कि शहर की ओर पलायन कर गया था. लेकिन बाहर रहकर बचत नहीं हो पा रही थी. फिर गांव में ही आकर फिर से सिंघाड़ा खेती शुरू की और अब घर खर्च अच्छे से चल रहा है.
2 महीने में ही इतनी कमाई
जय स्वरूप बताते हैं कि यह फसल लगभग 2 महीने में तैयार हो जाती है. गांव में रहकर ही इस फसल से अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है. पिछले 2 सालों से मैं इसमें बढ़िया मुनाफा कमा रहा हूं. बाहर कमाने जाते थे तो 3 महीने में 20 हजार भी नहीं बचा पाते थे. लेकिन अब 2 बीघा में सिंघाड़ा लगाकर गांव में रहकर ही 3 महीने में 50 से 80 हजार रुपए कमा लेते हैं.
2 महीने सिंघाड़ा फलता है
जय स्वरूप बताते हैं कि ऐसी फसल है जो 2 महीने तक फसल देती है. कहने का मतलब है कि 2 से 3 महीने बाद बेल में सिंघाड़ा आने लगता है और लगातार 2 महीने तक इसमें फल आते हैं.
1 बेल में 2 बार सिंघाड़ा आता है
जय स्वरूप बताते हैं कि सिंघाड़ा की एक बेल में 6 से 8 सिंघाड़े फल आते हैं. जब इनको एक बार तोड़ लिया जाता है तो इसके बाद भी बेल में सिंघाड़े आते हैं. इस तरह कह सकते हैं कि एक बेल में 14 से 15 सिंघाड़े फल आ जाते हैं.
आवारा जानवरों की समस्या नहीं
जयस्वरूप बताते हैं कि हमारे यहां परंपरागत गेहूं, चना,अरहर और मसूर की खेती की जाती है. इन फसलों को आवारा पशु बहुत खाते हैं. नीलगाय भी यहां लगती हैं. वहीं सिंघाड़ा खेती में आवारा पशुओं की समस्या नहीं होती है. नीलगाय से भी दिक्कत नहीं है.
जयस्वरूप बताते हैं कि सिंघाड़ा की खेती कोई भी व्यक्ति कर सकता है. हालांकि, इसमें बहुत सीखने की जरूरत होती है, मेहनत भी है. साथ ही इसमें कीटनाशक दवा का छिड़काव करते रहें ताकि इसमें कीड़े ना लग पाए.
Deepti Sharma, currently working with News18MPCG (Digital), has been creating, curating and publishing impactful stories in Digital Journalism for more than 6 years. Before Joining News18 she has worked with Re…और पढ़ें
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