सक्सेस मंत्रा- हमारी तुलना दूसरों से नहीं, खुद से है: कंपेयर न करें, बस ये देखें कि हमारा हर अगला दिन पिछले से बेहतर कैसे हो

48 मिनट पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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हम सब अपनी जिंदगी में कहीं-न-कहीं दूसरों से खुद को कंपेयर करते हैं। कभी सोचते हैं कि उसकी नौकरी मेरी नौकरी से बेहतर क्यों है? उसके पास बड़ी गाड़ी है, मेरे पास क्यों नहीं? वो मुझसे आगे क्यों निकल गया? ये सवाल हमारे दिमाग में बार-बार आते हैं और रुकते ही नहीं। लेकिन क्या कभी आपने खुद से ये पूछा है- ‘क्या मैं कल से बेहतर हूं?’

सच ये है कि हमारी असली पहचान दूसरों से तुलना करने से नहीं, बल्कि अपनी तरक्की पर ध्यान देने से बनती है।

आज ‘सक्सेस मंत्रा’ कॉलम में हम बात करेंगे कि तुलना हमें पीछे क्यों खींचती है। साथ ही जानेंगे कि- अपनी ग्रोथ पर फोकस करके हम आगे कैसे बढ़ सकते हैं।

दूसरों से तुलना क्यों है नुकसानदायक?

आमतौर पर इंसानी फितरत ये है कि वह अपने आसपास हो रही चीजों को देखकर ही सीखता है। इस दौरान वह यह नहीं समझ पाता है कि वह कब दूसरों से खुद की तुलना करने लगा है। यह आदत भले अनजाने में बनती है, लेकिन ये हमें कमजोर बनाती है। इससे सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि हम खुद को दूसरों की तुलना में कमतर आंकने लगते हैं।

खुद पर भरोसा कम होता है

जब हम बार-बार दूसरों से अपनी तुलना करते हैं, तो अपनी मेहनत और कामयाबी छोटी लगने लगती है। मिसाल के तौर पर, अगर आपने नई नौकरी शुरू की और आपका दोस्त प्रमोशन पा गया तो आप सोच सकते हैं, “मैं उससे पीछे रह गया।” ये सोच आपके आत्मविश्वास को चोट पहुंचाती है।

दिमाग पर बोझ बढ़ता है

सोशल मीडिया पर लोग अपनी जिंदगी की सिर्फ चमकदार तस्वीरें दिखाते हैं- घूमने की फोटो, नई चीजें, खुशी के पल। हम अपने रोज के संघर्षों को उनकी इन सो कॉल्ड परफेक्ट जिंदगियों से कंपेयर करते हैं, तो मन में जलन और तनाव पैदा होता है।

आगे बढ़ने की रफ्तार कम हो जाती है

जब हमारा सारा ध्यान दूसरों की जिंदगी पर रहता है, तो अपनी ताकत और सपनों को भूल जाते हैं। हम वो मेहनत नहीं करते जो हमें करनी चाहिए, क्योंकि हमारी एनर्जी गलत जगह लग रही होती है।

तरक्की पर फोकस क्यों है जरूरी?

हर इंसान की जिंदगी एक अलग रेस है। कोई 20 साल की उम्र में सेटल हो जाता है, कोई 40 में अपनी मंजिल हासिल कर पाता है। कोई जल्दी कामयाबी पा लेता है, कोई धीरे-धीरे आगे बढ़ता है। लेकिन हर किसी का सफर और वक्त अलग होता है। अगर आप अपनी राह पर चलते रहें, तो कम वक्त में भी बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं।

असली तुलना खुद से करें

आप कल क्या थे और आज क्या हैं, यही आपकी सच्ची प्रोग्रेस है। अगर आप हर दिन थोड़ा बेहतर बन रहे हैं तो आप सही दिशा में बढ़ रहे हैं।

छोटे स्टेप्स, बड़ी कामयाबी

अगर आप हर दिन सिर्फ 1% भी बेहतर बनें, तो साल के अंत तक आप साल की शुरुआत में जैसे थे, आखिरी दिन उससे 37 गुना आगे निकल सकते हैं। इसके लिए सिर्फ लगातार कोशिश करने की जरूरत है।

तुलना की आदत कैसे छोड़ें?

दूसरों से तुलना करने की आदत छोड़ना इतना आसान नहीं है, लेकिन कुछ छोटे बदलाव इसे मुमकिन बना सकते हैं। हमें प्रैक्टिकल तरीके सोचने होंगे, जिनकी मदद से हम ऐसा कर सकते हैं।

सोशल मीडिया से ब्रेक लें

हर दिन थोड़ा वक्त ऐसा निकालें, जब आप फोन को किनारे रख दें। उन अकाउंट्स को अनफॉलो करें, जो आपको बेकार में परेशान करते हैं। इससे बेवजह का भटकाव होता है।

अपनी डायरी लिखें

हर दिन अपनी 3 अच्छी बातें नोट करें। ये कुछ भी हो सकता है- सुबह जल्दी उठना, दोस्त से बात करना, या एक नया हुनर सीखना। इससे आपको अपनी ग्रोथ नजर आएगी।

अपने पुराने दिन याद करें

सोचिए, क्या आप वही हैं जो एक साल पहले थे? अगर नहीं, तो इसका मतलब आप आगे बढ़ रहे हैं। आप अपने पुराने दिनों को याद करके उससे प्रेरणा ले सकते हैं कि आप उस जगह से कितना आगे निकल आए हैं। इसके लिए किसी माइलस्टोन का होना जरूरी नहीं है।

दूसरों से प्रेरणा लें, तुलना न करें

अगर कोई आपको इंस्पायर करता है, तो उससे सीखें। लेकिन उसकी कॉपी करने की बजाय अपनी अलग राह बनाएं। आपको ये देखना होगा कि आपकी काबिलियत और और आपकी पसंद क्या है। उसके हिसाब से ही अपना रास्ता चुनना चाहिए।

इन छोटे स्टेप्स से आप हर दिन बेहतर बन सकते हैं।

प्रेरणा की मिसाल हैं ये सफल लोग

कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने दूसरों से तुलना छोड़कर अपनी तरक्की पर ध्यान दिया और दुनिया में नाम कमाया-

महेंद्र सिंह धोनी

क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने कभी अपने खेल को दूसरों से नहीं जोड़कर नहीं देखा। वो अपने तरीके से खेले, अपने दिमाग को शांत रखा और मेहनत से एक अलग पहचान बनाई। वो कहते हैं,

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अपने आप पर यकीन रखो, दूसरों की चिंता मत करो।

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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कभी अपनी गरीबी को रोड़ा नहीं बनने दिया। उन्होंने अपनी पढ़ाई और सपनों पर फोकस किया। उनका मानना था कि मेहनत और लगन ही इंसान को आगे ले जाती है।

दूसरों को नहीं खुद को पीछे छोड़ें

दूसरों से तुलना करना एक ऐसा जाल है, जिसमें फंसकर हम अपनी ताकत और खुशी खो देते हैं। वहीं, तरक्की वो रास्ता है, जो हमें हर दिन नया और बेहतर बनाता है। दूसरों को पीछे छोड़ना जरूरी नहीं, खुद को हर दिन निखारना जरूरी है। याद रखें कि आपका सबसे बड़ा मुकाबला कोई और नहीं, बल्कि आप खुद हैं।

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