IIT की पिता से सुनी कहानी,बेटे ने 9वीं में बनाई रोडमैप, IIT में गूंज रही सफलता

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IIT में दाखिला पाना आसान नहीं होता, लेकिन मेहनत के साथ धैर्य और आत्मविश्वास जरूरी है. देवर्ष भंडारी ने बचपन में आईआईटी के बारे में सुना और लक्ष्य बनाकर सफलता हासिल की.

IIT की पिता से सुनी कहानी,बेटे ने 9वीं में बनाई रोडमैप, IIT में गूंज रही सफलताIIT JEE Success Story: यहां से कर रहे हैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई.
IIT Success Story: आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित संस्थानों में दाखिला पाना कोई आसान काम नहीं होता. इसमें सफलता पाने के लिए केवल मेहनत ही नहीं, बल्कि धैर्य, आत्मविश्वास और संतुलन की भी ज़रूरत होती है. ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है देवर्ष भंडारी (Devarsh Bhandari) की. देवर्ष ने पहली बार आईआईटी का नाम तब सुना जब उनके चचेरे भाई को आईआईटी दिल्ली में एडमिशन मिला. उस समय वे काफी छोटे थे और उन्हें यह तक नहीं पता था कि आईआईटी क्या है? जब उन्होंने अपने पिता से इस संस्थान के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि आईआईटी देश के सबसे टॉप इंजीनियरिंग कॉलेजों में गिने जाते हैं, और इनमें प्रवेश पाना बेहद कठिन होता है क्योंकि सीटें बहुत सीमित होती हैं.

पिता की यह बात देवर्ष के दिल को छू गई. तभी से उन्होंने तय कर लिया कि वह भी इस कठिन सफर को तय करेंगे. अपनी लगन और सटीक रणनीति के साथ उन्होंने तैयारी की और जेईई एडवांस्ड में 1646 रैंक हासिल की, जो कि अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है.

जेईई की तैयारी की शुरुआत

जेईई की परीक्षा में 1646 रैंक हासिल करने वाले देवर्ष भंडारी ने कक्षा 9वीं से ही जेईई की तैयारी शुरू कर दी थी. सप्ताह के दिनों में स्कूल जाता और वीकेंड पर कोचिंग क्लासेज़ अटेंड करता, जो करीब 3-4 घंटे चलती थीं. शुरुआत में ये सब काफी थकाने वाला था, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें इसकी आदत में आ गया. उन्होंने गुजराती माध्यम से पढ़ाई की, इसलिए अंग्रेज़ी में जेईई की परीक्षा देना एक डर की बात थी. लेकिन उन्हें जल्दी ही समझ आ गया कि वह अकेला नहीं था, औरों को भी इसी चुनौती का सामना करना पड़ रहा था.

कोविड-19 और संघर्ष

कोरोना महामारी के दौरान देवर्ष भंडारी के लिए चीज़ें और भी मुश्किल हो गईं थी. सब कुछ ऑनलाइन हो गया, और घर में रहते हुए पढ़ाई पर ध्यान लगाना बेहद कठिन था. इस समय उनके परिवार का साथ उनके लिए बहुत बड़ा सहारा बना. अच्छी बात यह रही कि परीक्षा कुछ महीनों के लिए टल गई, जिससे उन्हें तैयारी के लिए अतिरिक्त समय मिल गया. उन्होंने वर्ष 2022 में जेईई मेंस और एडवांस्ड दी और AIR 1646 हासिल की. यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी. साथ ही उन्होंने अपने स्कूल का टॉपर भी बना.

आईआईटी गुवाहाटी का चुनाव क्यों किया

जेईई की परीक्षा को पास करने में कामयाब रहे देवर्ष के पास कई विकल्प थे, जैसे कि आईआईटी बॉम्बे में एयरोस्पेस, आईआईटी रोपड़ में कंप्यूटर साइंस, या आईआईटी रुड़की और खड़गपुर में इलेक्ट्रॉनिक्स. लेकिन आख़िरकार, संतुलन और रुचि को ध्यान में रखते हुए उन्होंने आईआईटी गुवाहाटी में इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (ECE) चुनने का फैसला किया. अगर आप भी कभी ऐसे किसी चुनाव के दौर से गुजरें, तो ब्रांच और कॉलेज दोनों का संतुलन देखकर फैसला करना चाहिए.

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Munna Kumar

पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin…और पढ़ें

पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin… और पढ़ें

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