27 अगस्त से गणेश उत्सव शुरू: स्थापित करें मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा, जानिए घर के लिए कैसी सूंड वाली गणेश प्रतिमा होती है शुभ?

3 घंटे पहले

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बुधवार, 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी (भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी) है, इस दिन से गणेश उत्सव शुरू हो जाएगा। भगवान गणपति को विघ्नहर्ता, बुद्धि के देवता और शुभ के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। इस साल बुधवार से गणेश उत्सव शुरू हो रहा है, ये वार गणेश जी को प्रिय है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी की शाम चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये दोष देने वाला कर्म माना गया है।

मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा करें स्थापित

गणेश की मिट्टी से बनी प्रतिमा ही स्थापित करनी चाहिए, क्योंकि ये प्रतिमाएं आसानी से पानी में घुल जाती हैं और ये पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं होती हैं। जबकि पीओपी से बनी प्रतिमाएं आसानी से पानी घुलती नहीं हैं और ये पर्यावरण के लिए हानिकारक होती हैं, इसलिए पीओपी की गणेश प्रतिमा स्थापित करने से बचना चाहिए।

यदि आप स्वयं मिट्टी से गणेश मूर्ति बनाना चाहें, तो किसी नदी या तालाब के किनारे की शुद्ध काली मिट्टी और पीली मिट्टी के साथ भूसा मिलाकर मूर्ति तैयार कर सकते हैं। इसके लिए किसी मंत्र की आवश्यकता नहीं होती। बस श्रद्धा और शुद्धता से मूर्ति बनानी होती है। आप चाहें तो बाजार से भी मिट्टी खरीदकर प्रतिमा बना सकते हैं।

किस दिशा में स्थापित करें गणेश प्रतिमा

घर में पूर्व या उत्तर दिशा में गणेश प्रतिमा स्थापित करना ज्यादा शुभ माना जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, गणेश जी को किसी भी दिशा में स्थापित किया जा सकता है, क्योंकि भगवान गणेश स्वयं शुभता के प्रतीक हैं, जहां गजानंद विराजित होते हैं, वहां सब शुभ ही शुभ होता है।

पूजा स्थल की तैयारी

पूजा स्थल साफ और स्वच्छ होना चाहिए। इसे अपनी सामर्थ्य और भावनाओं के अनुसार सजाया जा सकता है। पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री में शामिल हैं- दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, वस्त्र, जनेऊ, हल्दी, चंदन, कुमकुम, चावल, पुष्प, धूप, दीप, पान, दक्षिणा, रोली, लाल एवं सफेद पुष्प, पुष्पमाला, नैवेद्य, हल्दी, कर्पूर, घी का दीपक, दूर्वा, सफेद तिल, सिंदूर आदि।

घर के लिए कैसी सूंड़ वाली प्रतिमा होती है शुभ

घर में स्थापना के लिए गणेश जी की सूंड़ दायीं तरफ (सीधे हाथ की ओर) होनी चाहिए। ऐसी प्रतिमा को सिद्धिविनायक गणेश कहते हैं। जबकि व्यापारिक स्थानों पर बायीं तरफ की सूंड़ शुभ मानी जाती है।

मंत्र और स्तोत्र पाठ

गणेश जी के पूजन में उनके मंत्रों और स्तोत्रों का पाठ करना चाहिए। मुख्य मंत्र है- वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

गणेश जी को दूर्वा जरूर चढ़ाएं

दूर्वा, जिसे दूब घास भी कहा जाता है, गणेश जी को अत्यंत प्रिय है। यह एक औषधीय पौधा है और विभिन्न बीमारियों में राहत देने का काम करता है। धार्मिक मान्यता अनुसार, जब गणेश जी ने अनलासुर नामक दैत्य को निगल लिया था, तब पेट में उत्पन्न जलन को शांत करने हेतु उन्होंने दूर्वा का सेवन किया था। तब से दूर्वा उन्हें अत्यंत प्रिय है। दूर्वा को जोड़ों में चढ़ाना चाहिए।

गणेश विसर्जन की परंपरा

गणेश जी की मूर्ति की दस दिनों तक पूजा करने के बाद नदी, सरोवर या किसी भी जल स्त्रोत में विसर्जित की जाती है। इसलिए ये आवश्यक है कि ये मूर्ति मिट्टी की ही हो। आप चाहें तो घर पर ही स्वस्थ बर्तन में गणेश प्रतिमा का विसर्जन कर सकते हैं और जब मूर्ति पानी में घुल जाए तो ये मिट्टी घर के गमलों में डाल सकते हैं।

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