कुछ ही क्षण पहले
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आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। सूर्योदय से रात तक श्रीकृष्ण की जन्म तिथि रहेगा। उदया तिथि में व्रत-पर्व मनाने की परंपरा के मुताबिक मथुरा, वृंदावन, द्वारका, पुरी और ज्यादातर मंदिरों में आज ही जन्माष्टमी मनाई जा रही है।
कृष्ण जन्मोत्सव रात में मनाने की परंपरा है, क्योंकि श्रीकृष्ण का जन्म रात के आठवें मुहूर्त में हुआ था। ये मुहूर्त रात 12 बजे से 12.48 तक रहेगा।
कुछ लोग रात में भगवान की पूजा नहीं कर पाते हैं। जिसके चलते दिनभर अष्टमी तिथि के दौरान किसी भी समय कृष्ण पूजा कर सकते हैं।



श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत की विधि, नियम और महत्व
विधि : ब्रह्म मुहूर्त से अगले दिन तक ब्रह्म मुहूर्त से शुरू कर अगले दिन सूर्योदय तक व्रत करने का विधान है। अगले दिन नहाकर पूजा करने के बाद भगवान को भोग लगाकर प्रसाद खाकर व्रत का पारण किया जाता है। यानी व्रत पूरा किया जाता है। बच्चे, बूढ़े और रोगियों के लिए नियम नहीं है। श्रद्धा से किसी भी तरह व्रत कर सकते हैं।
नियम : सूखे मेवे, फल खाएं
इस व्रत में अन्न नहीं खाया जाता। सिर्फ फल और दूध ही ले सकते हैं। सेहत और स्थिति के अनुसार सूखे मेवे, थोड़ी मात्रा में फलाहार या ज्यूस ले सकते हैं। रात में आरती के बाद फलाहार न करें, जरूरत हो तो दोबारा दूध पी सकते हैं।
महत्व : कष्ट दूर होते हैं, जीत मिलती है
व्रत-उपवास इसलिए ताकि भगवान की पूजा में मन, शरीर और विचार शुद्ध रहें। ग्रंथों में इसे जयंती व्रत कहा है, इससे सुख और समृद्धि मिलती है। मान्यता है कि अष्टमी जया तिथि है। इस तिथि पर व्रत करने से जीत मिलती है।

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