27 मिनट पहले
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भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। द्वापर युग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। श्रीकृष्ण को युग पुरुष और लीलाधर कहा गया है, जिनकी बाल लीलाएं, गीता उपदेश और कर्मयोग की सीख को जीवन में उतार लेने से हमारी सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। उस समय कंस ने भगवान के माता-पिता देवकी और वासुदेव को बंदी बना रखा था। कंस के अत्याचारों से धरती त्रस्त हो चुकी थी, तब नारायण ने देवकी की आठवीं संतान के रूप में अवतार लिया था। जन्म के तुरंत बाद वासुदेव जी नन्हें बाल गोपाल को यमुना पार गोकुल में नंद-यशोदा के घर छोड़ आए थे।
ऐसे कर सकते हैं जन्माष्टमी व्रत
जन्माष्टमी व्रत निर्जल, फलाहारी या केवल दूध-पानी के साथ रखा जा सकता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार ये व्रत रख सकते हैं। इसके लिए जन्माष्टमी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर की सफाई करके वहां श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की स्थापना करें। विधिवत पूजा करें और भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद दिनभर नियमों के अनुसार व्रत करें, रात में ठीक 12 बजे के आसपास भगवान का अभिषेक करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। इस तरह जन्माष्टमी व्रत पूरा होता है।
सूर्य को अर्घ्य देकर करें दिन की शुरुआत
स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र सांब को सूर्य उपासना करने का उपदेश दिया था। अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र जपते हुए अर्घ्य अर्पित करें।
सबसे पहले करें गणेश जी की पूजा
श्रीकृष्ण के अभिषेक की शुरुआत प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा के साथ करें। गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं। दीप जलाएं। ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें। मोदक, लड्डू का भोग लगाएं। आरती करें। गणेश पूजन से सभी विघ्न दूर होते हैं।
ऐसे करें लड्डू गोपाल का अभिषेक
- गणेश पूजा के बाल गोपाल को पहले गंगाजल से, फिर फूल मिश्रित जल से स्नान कराएं।
- फिर केसर मिला दूध, दही, घी, शहद और मिश्री से बने पंचामृत से अभिषेक करें। अभिषेक के समय कृं कृष्णाय नमः मंत्र का जप करते रहें।
- बाल गोपाल को पीले रंग के रेशमी वस्त्र, मोरपंख, मुकुट, कर्णफूल, हार आदि से श्रृंगारित करें।
- फूलों की माला, चंदन तिलक लगाएं।
- बाल गोपाल को माखन-मिश्री, ताजे फल, लड्डू, खीर, और तुलसी युक्त पंचामृत अर्पित करें। भोग मिट्टी, चांदी या तांबे के बर्तन में रख सकते हैं।
- भोग के बाद आरती करें, धूप और दीप जलाएं। भगवान की पूजा में गौमाता की प्रतिमा भी जरूर करें। श्रीकृष्ण के साथ-साथ गौमाता की भी पूजा करें।
- पूजा के बाद किसी गौशाला में जाकर हरी घास, गुड़, चारा या धन का दान करें।
अब जानिए जन्माष्टमी पर और कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
- रात 12 बजे भगवान को झूला झुलाने की परंपरा है। बाल गोपाल को झूले पर बैठाकर गीत गाएं।
- श्रीकृष्ण की 108 नामावली, गीता पाठ, रासलीला, या भागवत कथा का श्रवण करें।
- राधा नाम का जप करें। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धार्मिक पुस्तकें दान करें।
- जन्माष्टमी पर लहसुन-प्याज, मांसाहार, शराब, नकारात्मक विचार, झूठ, और क्रोध से दूर रहें।
- व्रत करने व्यक्ति को किसी का अपमान नहीं करना चाहिए, वर्ना पूजा का पुण्य नहीं मिल पाता है।
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