श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को: जन्माष्टमी व्रत करने से पहले लेना चाहिए संकल्प, जानिए व्रत करने के तीन तरीके कौन-कौन से हैं

3 घंटे पहले

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16 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। द्वापर युग में भगवान विष्णु ने भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की रात श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। जन्माष्टमी केवल उपवास करने का अवसर नहीं है, ये पर्व आत्म-संयम, भक्ति और आंतरिक शुद्धि का माध्यम बनता है। जन्माष्टमी व्रत आत्मिक साधना का एक तरीका है।

व्रत प्रारंभ करने से पहले एक विशेष प्रक्रिया होती है, जिसे संकल्प कहा जाता है। संकल्प का अर्थ है कि पूर्ण श्रद्धा के साथ ये संकल्प लेना कि हम इस व्रत को निष्ठा, शुद्धता और भक्ति के साथ निभाएंगे।

जन्माष्टमी की सुबह स्नान के बाद भगवान श्रीकृष्ण के सामने हाथ जोड़कर मन में संकल्प लें और कहें कि हे कृष्ण, मैं ये व्रत आपकी कृपा पाने और अपने अंतर्मन को शुद्ध करने के लिए कर रहा/रही हूं। कृपया इसे स्वीकार करें।

व्रत के तीन तरीके

  • निर्जला व्रत: एक बूंद जल भी नहीं लिया जाता, जब तक मध्यरात्रि में व्रत न खोला जाए।
  • फलाहार व्रत: फल, दूध, मेवे और व्रत के अनुकूल व्यंजन खाए जाते हैं।
  • आंशिक व्रत: एक बार भोजन लिया जाता है, जिसमें अनाज और सामान्य नमक नहीं होता।

व्रत के सामान्य नियम

  • व्रत कर रहे हैं तो अन्न का त्याग करें। इस दिन गेहूं, चावल, दाल आदि का सेवन नहीं किया जाता। व्रत आमतौर पर फलाहार या निर्जला होता है।
  • हमें अपने श्रद्धा और सामर्थ्य के हिसाब से व्रत करना चाहिए। व्रत के लिए अलग भोजन तैयार करना चाहिए। व्रत का खाना साफ बर्तनों में, साफ-सुथरे रसोईघर में बनाया जाए।
  • इस दिन तामसिक भोजन जैसे लहसुन और प्याज मन की एकाग्रता को भंग करते हैं। इसलिए इनसे बचना चाहिए।
  • व्रत कर रहे हैं तो साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा-स्थल को भी साफ-सुथरा रखें।
  • भोजन तैयार करते समय स्वाद चखना व्रत के नियमों का उल्लंघन माना जाता है।
  • व्रत में सामान्य नमक का इस्तेमाल करने से बचें। व्रती के लिए सेंधा नमक शुभ माना जाता है।
  • जन्माष्टमी का प्रसाद या भोजन ताजा ही होना चाहिए। पुराना बासी भोजन इस दिन न खाएं।
  • व्रत केवल पेट का उपवास नहीं है, मन का भी है। शांत, संयमित और भक्ति भाव में रहना जरूरी है। मन को शांत रखें, क्रोध, ईर्ष्या, लालच जैसे बुरे विकारों से बचें।
  • श्रीकृष्ण के मंत्रों का जप धीमी आवाज में करना चाहिए। गीता का पाठ करें। श्रीकृष्ण की कथाएं पढ़ें-सुनें।

मध्यरात्रि में करें श्रीकृष्ण का अभिषेक

  • पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात में मथुरा के कारागार में हुआ था। इसी वजह से जन्माष्टमी पर मध्यरात्रि 12 बजे भगवान का अभिषेक किया जाता है। विधिवत पूजा के बाद माखन-मिश्री का प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोला जाता है।
  • बाल गोपाल की प्रतिमा को दूध, दही, शहद, घी व गंगाजल से स्नान कराया जाता है। अभिषेक किया जाता है।
  • श्रीकृष्ण को रेशमी वस्त्र, अलंकार व मोरपंख से सजाया जाता है।
  • एक सुंदर झूले पर बालकृष्ण को बैठाया जाता है और झूला झुलाया जाता है।
  • भजन, कीर्तन, और आरती से भगवान की भक्ति की जाती है।

व्रत के नियमों का पालन न कर पाएं तो…

व्रत एक आंतरिक यात्रा है। दिन की शुरुआत शरीर की भूख से होती है, लेकिन दिन का अंत तक भक्ति से होता है। कुछ घंटों के लिए अन्न-जल त्यागने से जो आत्मिक जुड़ाव मिलता है, वह आनंद देता है। अगर हम व्रत के नियमों का पालन न भी कर सकें, तो घबराएं नहीं। भगवान कृष्ण प्रेम के देवता हैं। वे यह नहीं देखते कि हम कितनी देर भूखे रहे, वे ये देखते हैं कि हमारे मन में उनके लिए कितना प्रेम है।

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