बागेश्वर. तेजी से बदलते मौसम और बढ़ते प्रदूषण के इस दौर में एलर्जी एक आम समस्या बनती जा रही है. धूल, परागकण, ठंडी हवा या खास खाने-पीने की चीजों के संपर्क में आते ही लोगों को छींक आना, आंखों से पानी गिरना, त्वचा पर रैशेज और सांस लेने में तकलीफ जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. दवाइयों का सहारा लिया जाता है, लेकिन उनका असर अस्थाई होता है और कई बार साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिलते हैं. लेकिन उत्तराखंड के बागेश्वर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में इन परेशानियों से निपटने के लिए वर्षों से एक सरल, प्राकृतिक और प्रभावी उपाय अपनाया जा रहा है. यह नुस्खा न केवल पारंपरिक ज्ञान पर आधारित है बल्कि अब प्राकृतिक चिकित्सा में रुचि रखने वाले विशेषज्ञ भी इसकी सराहना कर रहे हैं.
रातभर का जादुई संपर्क
बागेश्वर के रहने वाले किशन मलड़ा लोकल 18 से कहते हैं कि सूरज निकलने से पहले जब घास पर ओस की बूंदें चमक रही होती हैं. उस समय उन्हें हाथ से एकत्र कर त्वचा पर मलने से एलर्जी में राहत मिलती है. कई बार लोग ओस भरी घास पर नंगे पांव टहलते हैं या घास पर बैठकर शरीर को उससे छूने देते हैं. ओस की नमी और ठंडक त्वचा को शांत करती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देती है. प्राकृतिक चिकित्सकों का मानना है कि ओस की बूंदों में वातावरण की शुद्धता समाई होती है. रातभर शुद्ध पहाड़ी हवा और वनस्पतियों के संपर्क में रहने के कारण ओस एक प्रकार की प्राकृतिक औषधि बन जाती है. जब इसे त्वचा पर मलते हैं तो यह स्किन को नमी देने के साथ-साथ उसमें मौजूद सूक्ष्म रोगाणुओं से लड़ने में भी सहायक होती है.
बिना साइड इफेक्ट वाला समाधान
ओस में मौजूद ठंडक एलर्जी के कारण होने वाली खुजली, जलन और सूजन को भी कम करती है. ओस त्वचा एलर्जी रैशेज, खुजली, सूजन से परेशान लोग, सांस संबंधी एलर्जी धूल या परागकण से होने वाली समस्या, छोटे बच्चे जिन पर केमिकल युक्त दवाइयों का प्रयोग नहीं करना चाहते, प्राकृतिक चिकित्सा में विश्वास रखने वाले लोगों के लिए फायदेमंद है. यह नुस्खा न केवल एलर्जी में लाभकारी है, बल्कि मानसिक तनाव को दूर करने, त्वचा को निखारने और शरीर में ताजगी लाने के लिए भी उपयोगी है. सुबह-सुबह ओस के संपर्क में आने से दिनभर की ऊर्जा में भी वृद्धि होती है. बाजार में मिलने वाली दवाइयों और मलहमों से अगर आपको राहत नहीं मिल रही, या आप बिना साइड इफेक्ट वाला कोई समाधान ढूंढ़ रहे हैं. तो बागेश्वर की इस पारंपरिक ओस चिकित्सा को एक मौका जरूर दें. यह पूरी तरह सुरक्षित, मुफ्त और सरल उपाय है, जो आपकी सेहत को प्राकृतिक तरीके से सुधार सकता है.