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Phone use in toilet risk of piles: यदि आपको टॉयलेट पर देर तक बैठकर रील्स देखने की आदत है तो अभी चेत जाए वरना इससे बवासीर की बीमारी हो सकती है. डॉक्टर ने इसके बारे में खतरनाक चेतावनी दी है.

टॉयलेट पर देर तक बैठने से क्यों होता है बवासीर
इंडियन एक्सप्रेस की खबर में फोर्टिस अस्पताल के कंसल्टेंट सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. प्रणव होन्नावर श्रीनिवासन कहते हैं कि ऐसा बिल्कुल होसकता है. टॉयलेट पर लंबे समय तक बैठना बवासीर के खतरे को बढ़ा सकता है. अगर यह आपके जीवन में आदत हो जाए तो यह बहुत जल्दी संभव है. जब कोई व्यक्ति लंबे समय टॉयलेट शीट पर बैठा रहता है तो यह मलाशय और गुदा क्षेत्र की नसों पर लगातार दबाव डालता है. यह दबाव इन नसों में सूजन ला सकता है, जिससे समय के साथ बवासीर हो सकता है. फोन के कारण शौच में काफी वक्त लगता है. ऐसे में जो काम कुछ समय में हो जाना चाहिए, उसके लिए घंटों तक लग जाता है क्योंकि फोन ध्यान भटका देता है. समय के साथ यह आदत नसों में रुकावट पैदा कर सकती है और पहले से मौजूद समस्याओं को और बढ़ा सकती है. इसमें पुरानी कब्ज या मल त्याग के समय बार-बार जोर लगाना जैसी समस्या बढ़ सकती है जो बवासीर की प्रमुख वजहों में से है.
डॉ. श्रीनिवासन बताते हैं बवासीर के कई कारण हो सकते हैं. पुरानी कब्ज, बार-बार मल त्याग के समय जोर लगाना, फाइबर की कमी वाली डाइट, मोटापा, गर्भावस्था और लंबे समय तक बैठना जैसी चीजें पाइल्स के रिस्क को बढ़ा देती है. ऐसे में यदि सख्त सतहों पर आप देर तक बैठे रहते हैं जिसमें टॉयलेट सीट भी शामिल है तो इससे खतरा कई गुना बढ़ जाता है. उदाहरण के लिए जो लोग नियमित रूप से शौच के दौरान जोर लगाते हैं या टॉयलेट में आवश्यकता से अधिक समय बिताते हैं वे मलाशय यानी रेक्टल एरिया में दबाव बढ़ा देते हैं. मल त्याग के दौरान बैठने की मुद्रा विशेष रूप से आगे की ओर झुकना भी नसों पर पड़ने वाले दबाव को प्रभावित करती है.
पाइल्स की पहचान कैसे करें
डॉ. श्रीनिवासन ने कहा कि बवासीर के शुरुआती लक्षणों को पहचानना जरूरी है. अगर गुदा के आसपास हल्की खुजली या जलन हो तो इसे नजरअंदाज न करें. तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इसी तरह अगर पूरी तरह से पेट साफ न हो या लगे कि पेट साफ नहीं हो रहा है, मल त्याग के समय हल्का खून आ रहा है, बैठने के दौरान असहजता महसूस हो रही है, मलत्याग की आदतों में परिवर्तन आ रहा है तो तुरंत मेडिकल सलाह लें.
शुरुआती लक्षणों को पहचानते हुए सबसे पहले लाइफस्टाइल में सुधार करें. इसमें डाइट का अहम हिस्सा है. डाइट में फाइबरयुक्त भोजन हर दिन करें. जितनी साग-सब्जियां, फल खाएंगे उतने फायदे होंगे. शौच की इच्छा को न टालें. जब भी मल त्याग की आवश्यकता हो, तुरंत टॉयलेट जाएं और ज़रूरत से ज्यादा देर तक बैठने से बचें. भरपूर पानी पिएं और नियमित रूप से व्यायाम करें ताकि पाचन सही बना रहे और मल त्याग में कोई रुकावट न हो.
Excelled with colors in media industry, enriched more than 18 years of professional experience. L. Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution in the…और पढ़ें
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