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Short Video Side effects: आजकल बच्चों से लेकर बुजुर्ग के हाथ में स्मार्टफोन है और लोग दिनभर रील और शॉर्ट वीडियो देखते रहते हैं. लेकिन यह दिमाग पर काफी गहरा असर डालता है और इसकी लत शराब से भी ज्यादा खराब है.

झारखंड की राजधानी रांची के रिम्स के न्यूरो सर्जन डॉक्टर विकास कुमार ने बताया, न्यूरो साइंटिस्ट ने रिसर्च में पाया कि शॉर्ट टर्म वीडियोज दिमाग को उसी तरह से करते हैं जैसे कोई एडिक्टिव चीज जैसे अल्कोहल करता है.

शॉर्ट वीडियो लगातार चलाने वाले लोगों के दिमाग में रिवार्ड पथ में एक्टीविटी बढ़ जाती है. यह वहीं सर्किट होता है जो शराब और जुए की लत के दौरान एक्टिव रहता है. हर एक आदमी एवरेज 151 मिनट रोज अपना समय शार्ट वीडियोज पर बिताता है.

यह हाई इंटेसिटी इंस्टेंट रिवार्ड कंजम्पशन ना केवल अटेंशन, नींद और मेंटल हेल्थ को खराब कर रहा बल्कि डिप्रेशन के रिस्क को भी बढ़ा रहा है. दूसरी रिसर्च में पता चला है कि शॉर्ट फॉर्म वीडियोज अटेंशन में कमी, कॉग्निटिव स्किल पर नेगेटिव असर डाल रहा है.

यहां तक कि शार्ट मेमोरी को भी नेगिटिव तरीके से असर कर रहा है. डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो मूड को सही रखने, मोटिवेट करने में खास भूमिका निभाता है और, ब्रेन रिवार्ड सिस्टम एक केमिकल है जो तब अच्छा महसूस करवाता है.

जब हम कुछ पा लेते हैं, कुछ अच्छा खाते हैं या किसी के साथ टाइम स्पेंड करते हैं. ये ब्रेन के रिवार्ड सिस्टम को हाइजैक कर लेता है, जिसकी वजह से दिमाग को असली खुशी की बजाय केवल शार्ट वीडियोज को देखकर खुशी मिलती है और इसकी आदत पड़ जाती है. और, इंसान बार-बार इस एक्सपीरिएंस को दोहराना चाहता है.

एक और चीज इससे बच्चों की और व्यक्ति की क्रिएटिविटी क्षमता जो है वह धीरे-धीरे बहुत ही कम हो जाती है. सोचने समझने की शक्ति व आउट ऑफ द बॉक्स करने का जो पोटेंशियल होता है. वह न के बराबर रह जाता है.

ऐसे में आप अपने फोन पर स्क्रीन टाइम ट्रैक्टर भी लगा कर रख सकते हैं. इसे पता चलेगा कि आपने कितने घंटे आज फोन इस्तेमाल किया. ऐसे में हर दिन ट्रैक करते हुए आप अपने समय को धीरे-धीरे घटाएं.