हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो किडनी फेलियर तब होता है, जब किडनी शरीर से विषैले तत्वों और अतिरिक्त पानी को फिल्टर करना बंद कर देती हैं. यह प्रक्रिया धीरे-धीरे बिगड़ती है, जिसे क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) कहा जाता है. अगर इलाज न हो, तो यह अंतिम चरण में एंड स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) में बदल जाती है, जिसमें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है. सत्यपाल मलिक को पहले से हाई बीपी और डायबिटीज की समस्या थी, जो किडनी फेलियर के दो सबसे बड़े कारण माने जाते हैं. सालों तक अनकंट्रोल बीपी और शुगर ने उनकी किडनी पर बुरा असर डाला. उन्हें यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) भी हुआ, जिसने किडनी को और ज्यादा नुकसान पहुंचाया. संक्रमण फैलने के कारण उनकी दोनों किडनी काम करना बंद कर चुकी थीं.
किडनी फेलियर जानलेवा क्यों होता है?
क्या समय रहते इलाज संभव है?
किडनी की बीमारियां अक्सर साइलेंट किलर होती हैं, क्योंकि शुरुआती स्टेज में लक्षण नजर नहीं आते. अगर नियमित जांच होती रहे, तो इसका सही समय पर ट्रीटमेंट किया जा सकता है. विशेषकर डायबिटीज और बीपी के मरीजों को समय-समय पर किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT), यूरिन टेस्ट और ब्लड प्रेशर टेस्ट जरूर करवाने चाहिए. एक बार किडनी ने काम करना बंद कर दिया, तो जिंदगी मशीनों पर ही निर्भर हो जाती है. अगर वक्त रहते किडनी की बीमारियों का पता चल जाए, तो इलाज से किडनी फेलियर को रोका जा सकता है.
किडनी की बीमारियों से कैसे बचें?
किडनी की बीमारियों से बचाव के लिए ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को कंट्रोल रखना जरूरी है, क्योंकि ये दोनों किडनी फेलियर के प्रमुख कारण हैं. नमक और चीनी का सेवन सीमित करें, और अधिक तले-भुने या प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें. पर्याप्त पानी पीना किडनी को साफ रखने में मदद करता है, लेकिन ज्यादा पानी भी हानिकारक हो सकता है, इसलिए संतुलन बनाए रखें. धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन किडनी पर बुरा असर डालता है, इन्हें पूरी तरह छोड़ देना चाहिए. नियमित रूप से व्यायाम करना और शरीर के वजन को नियंत्रित रखना भी जरूरी है. इसके अलावा बिना डॉक्टर की सलाह के पेनकिलर या एंटीबायोटिक जैसी दवाएं बार-बार लेने से बचें, क्योंकि ये किडनी को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकती हैं. अगर परिवार में किसी को किडनी रोग रहा हो, तो समय समय पर जरूर जांच कराएं.
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