Bhadrapad Sankashti Chaturthi 2025: भाद्रपद माह की संकष्टी चतुर्थी 12 अगस्त 2025 को है. इस दिन को बहुला चौथ, बोल चौथ और हेरंब संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. भाद्रपद मास की बहुला चतुर्थी साल की 4 प्रमुख चतुर्थी में से एक माना जाती है, इसलिए इसका विशेष महत्व धर्म शास्त्रों में बताया गया है. इस दिन गणेश जी, चंद्रमा और विशेषकर गाय की पूजा का विधान है.
भादो संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त
हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा उदय होने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है और बाद में चंद्र देव की. इस दिन गणपति बप्पा की पूजा का शुभ मुहूर्त 12 अगस्त को सुबह 9.07 से दोपहर 2.05 तक रहेगा
- गोधुली पूजा का मुहूर्त – शाम 6.50 – रात 7.16
- भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी तिथि शुरू – 12 अगस्त 2025, सुबह 8.40
- भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी तिथि समाप्त – 13 अगस्त 2025, सुबह 6.35
भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी 2025 चंद्रोदय समय
संकष्टी चतुर्थी पर शाम को गाय की पूजा के बाद रात में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है इसके बाद ही व्रत पूर्ण होता है. इस बार हेरंब संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय – रात 8:59 पर होगा.
गणेश जी के हेरंब स्वरूप की पूजा का लाभ
ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार ‘हे’ का अर्थ असहाय अथवा दुर्बल है तथा ‘रम्ब’ का अर्थ है सुरक्षा करना. हेरम्ब का अर्थ है ‘असहाय एवं निर्बलों की रक्षा करने वाले’. ऐसे में जो भक्त भादों की हेरंब संकष्टी चतुर्थी पर बप्पा के इस स्वरूप की पूजा करता है, उसकी हर संकट से सुरक्षा होती है. कठिन संकटों के निवारण हेतु हेरम्ब गणपति की आराधना का सुझाव दिया गया है. भगवान हेरम्ब को पांच शीष एवं दस भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है. भगवान हेरम्ब का वाहन सिंह है.
हेरंब संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
- भादो चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, दायें हाथ में जल रखकर व्रत का संकल्प लें.
- पूजा की चौकी लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और उसपर गणेश भगवान की प्रतिमा स्थापित करें. षोडोपचार विधि से उनका पूजन करें.
- सच्चे मन से उनके मंत्रों का जाप करें. भादो चौथ की कथा सुनें, भोग लगाएं और आरती करें. रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें. फिर व्रत का पारण करें.
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