Samsung Success Story : कभी मछली और नूडल्स बेचती थी ये कंपनी, जानें कैसे बनी किराना दुकान से टेक्नोलॉजी बादशाह

Samsung Success Story : आज के समय में सैमसंग गैजेट्स की दुनिया में, खासकर स्मार्टफोन्स में, एक बड़ा नाम है. सैमसंग गैलेक्सी स्मार्टफोन्स उपभोक्ताओं के बीच बहुत लोकप्रिय हैं. साल 2024 में, इस कंपनी ने 22.3 करोड़ से ज्यादा फोन बेचे. फोन के अलावा, इस कंपनी ने टीवी, एलईडी, चिप्स, कैमरे, लैपटॉप और घरेलू उपकरणों में भी अपनी धाक जमाई है. सैमसंग की वैल्यूएशन 336 बिलियन डॉलर है, यानी करीब 2,94,50,78,64,00,000 रुपये.

सैमसंग का साम्राज्य कितना बड़ा है?
लेकिन सैमसंग की शुरुआत इतनी शानदार नहीं थी. आज जो सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में शीर्ष ब्रांडों में से एक है, उसके दुनियाभर में दर्जनों ऑफिस और लाखों कर्मचारी हैं. सैमसंग की शुरुआत एक किराने की दुकान के रूप में हुई थी, जहां इसके मालिक आटा, चावल, नूडल्स और मछली बेचते थे.

आज, यह कंपनी इतनी बड़ी हो गई है कि अगर इसे नुकसान होता है, तो पूरे देश की अर्थव्यवस्था हिल जाती है. सैमसंग की आय दक्षिण कोरिया की जीडीपी पर हावी है और देश की जीडीपी में इसका 17% हिस्सा है.

किराना दुकान से टेक्नोलॉजी के बादशाह तक
दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग की शुरुआत एक छोटे से किराए की दुकान से हुई थी. 1938 में, दक्षिण कोरिया के ली ब्यूंग-चुल ने अपनी गली में एक छोटी किराना दुकान खोली. वह दुकान में मछली, आटा, चीनी और नूडल्स बेचते थे. ली ब्यूंग-चुल ने समझ लिया था कि इससे वह ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे. आटा और चावल बेचने के साथ-साथ उन्होंने वहां आने वाले ग्राहकों को बीमा भी बेचना शुरू कर दिया.

मछली और नूडल्स का निर्यात
ब्यूंग-चुल ने मछली और नूडल्स का निर्यात शुरू किया. उन्होंने नूडल्स बनाने का सामान और सूखी मछली भी दूसरे देशों में भेजना शुरू किया. सन 1950 तक ब्यूंग ने अपनी किराना दुकान को बीमा, निर्यात-आयात और वस्त्र व्यवसाय तक बढ़ा दिया. ब्यूंग ने समझा कि अगर उन्हें कुछ बड़ा करना है, तो उन्हें टेक्नोलॉजी क्षेत्र में प्रवेश करना होगा. 1969 में, ब्यूंग चुल ने टेक्नोलॉजी क्षेत्र में कदम बढ़ाना शुरू किया.

सैमसंग की शुरुआत कैसे हुई?
ब्यूंग ने टेक्नोलॉजी को अपनाया और इस क्षेत्र में विस्तार करना शुरू किया. उन्होंने इस क्षेत्र में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के नाम से प्रवेश किया. सन 1970 में, उन्होंने एक जापानी कंपनी के साथ मिलकर एक ब्लैक एंड वाइट टीवी लॉन्च किया. टीवी में सफलता मिलने के बाद, उन्होंने 1980 में मोबाइल फोन बनाना शुरू किया. वर्षों की मेहनत के बाद, उन्होंने 1988 में पहली बार सैमसंग मोबाइल बाजार में लॉन्च किया. पहला सैमसंग फोन SGH-100 नाम से बाजार में आया, लेकिन इसमें कुछ समस्याएं थीं.

सैमसंग के करोड़ों फोन जलाए गए
सैमसंग ने बाजार में कदम रखा और एक फोन लॉन्च किया, लेकिन लोगों को उनका पहला फोन पसंद नहीं आया क्योंकि उसमें कई खामियां थीं. जब यह शिकायत ब्युंग चुल तक पहुंची, तो उन्होंने फैक्ट्री में रखे करोड़ों सैमसंग फोन को आग लगा दी. उन्होंने तुरंत उन फोन को सुधारने का आदेश दिया और लोगों से माफी मांगी.

ली ब्युंग-चुल की मृत्यु के बाद, उनके बेटे ली कुन ने सैमसंग की बागडोर संभाली. ब्युंग ने उस समय सेमीकंडक्टर्स के महत्व को समझ लिया था, इसलिए अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स और सैमसंग सेमीकंडक्टर के विलय का आदेश दिया था.

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