अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि भारत सहित दुनिया का कोई भी देश रूस के साथ कारोबार न करें. उन्होंने ऐसा करने वाले देशों पर सख्ती बरतते हुए अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी भी दी है. ट्रंप के इस रूख पर अब रूस का बयान सामने आया है. रूस का कहना है कि संप्रभु देशों को अपने हितों के आधार पर व्यापार और आर्थिक सहयोग में अपने साझेदार चुनने का अधिकार है.
अमेरिका की धमकी पर रूस की प्रतिक्रिया
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मंगलवार को भारत को अमेरिका की दी जा रही धमकी को लेकर पत्रकारों से कहा, हमारा मानना है कि संप्रभु देशों को अपने व्यापारिक साझेदारों, व्यापार और आर्थिक सहयोग में साझेदारों को स्वयं चुनने और स्वतंत्र रूप से व्यापारिक और आर्थिक सहयोग के तरीकों को निर्धारित करने का अधिकार होना चाहिए जो संबंधित देश के हितों के अनुकूल हो.
Statement by Official Spokesperson⬇️
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— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) August 4, 2025
अमेरिका के आरोपों पर भारत का जवाब
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर भारी मात्रा में रूसी तेल खरीदने और उसे बड़े मुनाफे पर बेचने का आरोप लगाया. साथ ही टैरिफ में और इजाफे की भी धमकी दी. इसके कुछ ही घंटों बाद भारत ने रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए अनुचित तरीके से भारत को निशाना बनाने के लिए अमेरिका और यूरोपीय यूनियन पर पलटवार किया.
भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ”यूक्रेन में जंग शुरू होने के बाद से रूस से तेल आयात करने के मुद्दे पर अमेरिका और यूरोपीय संघ की तरफ से भारत को निशाना बनाया जा रहा है. वास्तव में भारत ने रूस से तेल का आयात करना इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष के बाद पारंपरिक सप्लाई को यूरोप की ओर डायवर्ट कर दिया गया. उस समय अमेरिका ने खुद भारत को ऐसे आयात के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि दुनिया के तेल बाजार की स्थिरता मजबूती के साथ बनी रहे.”
रणधीर जायसवाल आगे लिखा, ”भारत अपने उपभोक्ताओं के लिए सस्ती और स्थिर ऊर्जा मुहैया कराने के लिए आयात करता है. यह वैश्विक बाजार के हालात की मजबूरी है. लेकिन यह गौरतलब है कि जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे खुद रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं. भारत की तरह उनका यह व्यापार उनके देश के लिए कोई जरूरी मज़बूरी भी नहीं है.”
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