दुनिया के महासागरों में अमेरिका से ज्यादा रूस की न्यूक्लियर पनडुब्बियां तैनात

मॉस्को. एक वरिष्ठ रूसी सांसद ने दावा किया है कि रूस के पास वर्तमान में दुनिया के महासागरों में अमेरिका से ज्यादा परमाणु पनडुब्बियां तैनात हैं. यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस टिप्पणी के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने दो परमाणु पनडुब्बियों को ‘उपयुक्त क्षेत्रों’ में भेजने की बात कही थी. ट्रंप का यह बयान पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव की हालिया टिप्पणी के बाद सामने आया था.

राज्य ड्यूमा की सीआईएस मामलों, यूरेशियन एकीकरण और प्रवासी संबंध समिति के पहले उपाध्यक्ष विक्टर वोडोलात्स्की ने कहा कि ट्रंप ने जिन जहाजों को ‘उपयुक्त क्षेत्रों’ में भेजने का आदेश दिया, वे पहले से ही नियंत्रण में हैं. मॉस्को को अमेरिकी राष्ट्रपति की बातों पर प्रतिक्रिया देने की कोई जरूरत नहीं है.

रूसी सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने वोडोलात्स्की के हवाले से कहा, “दुनिया के महासागरों में हमारी (न्यूक्लियर) पनडुब्बियां काफी ज्यादा हैं, (और उनके पास) सबसे मजबूत, सबसे शक्तिशाली हथियार हैं. इसलिए (ट्रंप की) दो नावें अगर घूम भी रही हैं, तो वह लंबे समय से हमारी निगरानी में हैं. हमारी ओर से कोई जवाब नहीं हो सकता, क्योंकि हम अच्छी तरह समझते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप कौन हैं. बीते कुछ महीनों में यह स्पष्ट हो गया है कि वह हर 24 घंटे में अपना मन बदलते रहते हैं.”

मेदवेदेव के ‘बेहद भड़काऊ बयानों’ के जवाब में ट्रंप ने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस कदम का ऐलान किया. पूर्व रूसी राष्ट्रपति और वर्तमान में रूसी संघ की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव के बयान के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर लिखा, “रूसी पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के अत्यधिक भड़काऊ बयानों को मद्देनजर रखते हुए, मैंने दो परमाणु पनडुब्बियों को ‘उपयुक्त क्षेत्रों’ में तैनात करने का आदेश दिया है. एहतियात के तौर पर, इस स्थिति में कि यह मूर्खतापूर्ण और भड़काऊ बयान सिर्फ शब्द न होकर कुछ और साबित हों. शब्द बहुत अहम होते हैं. यह कई बार अनचाहे परिणामों की ओर ले जा सकते हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि यह ऐसा कोई मामला नहीं बनेगा. इस विषय पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद.”

हालांकि, ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि कौन-सी पनडुब्बियां भेजी गई हैं, या उन्हें कहां तैनात किया गया है.

इस बीच, विक्टर वोडोलात्स्की ने कहा कि अमेरिका के लिए यह कहीं अधिक तर्कसंगत होगा कि वह वर्तमान प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करे, जिनमें रूस-अमेरिका वार्ताकार समूहों का गठन और दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों की आपसी यात्राएं शामिल हैं.

उन्होंने कहा, “इसके साथ-साथ एक मुख्य समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में काम होना चाहिए, जिसे रूस और अमेरिका के बीच संपन्न किया जाए, ताकि पूरी दुनिया में शांति कायम हो सके और तीसरे विश्व युद्ध की आशंका पर बातें करना बंद कर दे.”

यह विवाद तब शुरू हुआ जब इस हफ्ते की शुरुआत में रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के डिप्टी चेयरमैन दिमित्री मेदवेदेव ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ट्रंप का हर नया अल्टीमेटम अमेरिका और रूस के बीच एक खतरा और युद्ध की ओर एक कदम है. मेदवेदेव की यह टिप्पणियां डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रूस और यूक्रेन के बीच संघर्षविराम की समयसीमा को 50 दिनों से घटाकर 10 दिन करने के जवाब में आईं. यह नई डेडलाइन अगले हफ्ते खत्म हो रही है.

एक्स पर मेदवेदेव ने लिखा, “ट्रंप रूस के साथ अल्टीमेटम वाला खेल खेल रहे हैं. 50 दिन या 10… उन्हें दो बातें याद रखनी चाहिए. पहली बात, रूस न तो इजरायल है और न ही ईरान. दूसरी बात, हर नया अल्टीमेटम एक धमकी है और युद्ध की ओर एक और कदम. यूक्रेन से नहीं, बल्कि उनके अपने देश से युद्ध की ओर.”

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