हजारीबाग से राष्ट्रपति भवन तक! संघर्षों से भरी है रूदन देवी की यात्रा

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Sohrai Art By Rudan Devi: हजारीबाग की सोहराई कला को जीआई टैग मिला है और रूदन देवी ने इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहचान दिलाई है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनकी कलाकारी की सराहना की और उन्हें साड़ी व स्मृति च…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • रुदन देवी ने राष्ट्रपति से मुलाकात की
  • रुदन देवी ने बाएं हाथ से सोहराई कला को जीवित रखा
  • रुदन देवी की कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली
हजारीबाग: झारखंड की पारंपरिक एक मात्र जीआई टैग प्राप्त सोहराई कला, आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है. हजारीबाग के पहाड़ों की गुफाओं से जन्मी यह कला, अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी छाप छोड़ रही है. इस कला को जीवंत रखने और नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड के जोराकाठ गांव की रहने वाली रूदन देवी का अहम योगदान है.

राष्ट्रपति ने भी कलाकारी को सराहा
हाल ही में रूदन देवी को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने का अवसर मिला. वे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (रांची रीजनल सेंटर) और मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर के सहयोग से राष्ट्रपति भवन गई थीं. उनके साथ बड़कागांव की नौ अन्य सोहराई कलाकार महिलाएं भी गई थीं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न केवल उनकी कलाकारी की सराहना की, बल्कि उन्हें साड़ी और स्मृति चिह्न भेंट कर प्रोत्साहित भी किया.

पहली बार की हवाई यात्रा
लोकल 18 झारखंड बातचीत करने के दौरान रुदन देवी ने कहा कि यह पहली बार था जब उन्होंने हवाई यात्रा की. प्लेन में बैठने का अनुभव उनके जीवन का सबसे अहम पलों में से एक था. दिल्ली में लगभग 10 दिनों के प्रवास के दौरान उन्होंने 35 मीटर कपड़े पर सोहराई कला को उकेरा, जिसे देखकर राष्ट्रपति भी बेहद प्रसन्न हुईं. और उनके सराहना करते हुए कहा कि एक हाथ से भी आप बहुत बेहतर कलाकारी करती है इस कलाकारी को ऐसे ही जिंदा रखें और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखें.

संघर्षों से भरी है रूदन देवी की यात्रा
रूदन देवी की जीवन यात्रा संघर्षों से भरी रही है. एक घरेलू दुर्घटना के दौरान उनका दाहिना हाथ बुरी तरह जल गया था. संक्रमण बढ़ने पर डॉक्टरों को हाथ काटना पड़ा. इसी हाथ से वह पहले पेंटिंग बनाती थीं. अपना हाथ गंवाने के बाद भी रूदन देवी ने हार नहीं मानी. उन्होंने बाएं हाथ से कला को साधा और लगातार अभ्यास कर आज उसी हाथ से शानदार कलाकृतियाँ बना रही हैं. और आज पूरे देश भर के कलाकारों के बीच में अपना लोहा मनवा रही है.

रुदन देवी आगे बताती है कि मैडम राष्ट्रपति ने उनकी तारीफ करने के साथ ही उन्हें उपहार स्वरूप साड़ी और स्मृति चिन्ह भी भेंट किया. दिल्ली का उनका सफर बेहद मजेदार था. इस कला को आगे बढ़ाने के लिए और भी प्रयास होने चाहिए.,उन्होंने कहा कि इस तरह की यात्राएं और मंच कलाकारों को नई पहचान देने में मददगार होती हैं.

गांव की दीवारों से विश्व पटल तक धमक
सोहराई कला, जो पहले सिर्फ गांव की दीवारों तक सीमित थी, आज रूदन देवी जैसे कलाकारों के प्रयास से विश्व पटल पर अपनी पहचान बना रही है. विश्व पटल में सोहराय की गूंज केवल झारखंड की गूंज नहीं बल्कि यहां की सभ्यता संस्कृति और प्रकृति की भी गूंज है.

Amit ranjan

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले…और पढ़ें

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले… और पढ़ें

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