रिसेप्‍शन पर काम करने वाले ने बनाई 45000 करोड़ की कंपनी, अब IPO की तैयारी

नई दिल्‍ली. बिजनेस करने की इच्‍छा तो लाखों लोग रखते हैं. उसमें से हजारों लोग खुद का बिजनेस शुरू भी करते हैं, लेकिन कुछ सौ लोग ही होते हैं जिनका कारोबार मुनाफे में आता है और उसमें से भी एक-दो लोग ही ऐसे होते हैं जिनकी सफलता का शोर पूरी दुनिया में मचता है. ऐसा ही एक नाम है पीयूष बंसल (Peyush Bansal) का, जिनकी सफलता की कहानी आज बच्‍चे-बच्‍चे की जुबान पर है. उनकी बनाई कंपनी का मार्केट वैल्‍यू अब 45 हजार करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा हो चुका है. कंपनी अब शेयर बाजार में आने की तैयारी कर रही है.

पीयूष बंसल कभी रिसेप्‍शन पर काम करके अपना खर्चा चलाते थे, लेकिन आज वह हजारों करोड़ की कंपनी के मालिक हैं. इतना ही नहीं उनकी नेटवर्थ भी सैकड़ों करोड़ रुपये पहुंच गई है. उनकी कंपनी लेंसकार्ट (Lenskart) ने 2,150 करोड़ रुपये का आईपीओ उतारने के लिए कॉरपोरेट मंत्रालय से मंजूरी ले ली है. जल्‍द ही बाजार नियामक सेबी से भी कंपनी को मंजूरी मिल जाएगी. पीयूष बंसल का कहना है कि आईपीओ लाने के समय तक कंपनी का मार्केट वैल्‍यू 8 अरब डॉलर (करीब 70 हजार करोड़ रुपये) हो सकता है.

रिसेप्‍शन से माइक्रोसॉफ्ट तक का सफर
ग्रेजुएशन करने के दौरान पीयूष ने अपना खर्चा चलाने के लिए रिसेप्‍शन पर भी काम किया. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्‍हें माइक्रोसॉफ्ट में जॉब मिल गई और अमेरिका चले गए. उन्‍होंने जनवरी, 2007 में माइक्रोसॉफ्ट ज्‍वाइन किया और करीब सालभर नौकरी करने के बाद ही उनका मन भर गया. अभी करियर शुरू ही हुआ था कि उनके मन में खुद का काम करने की ललक जाग उठी और एक झटके में लाखों की नौकरी छोड़कर भारत वापस लौट आए.

बिजनेस में लगा दी सारी पूंजी
पीयूष को कारोबार का ज्‍यादा ज्ञान तो नहीं था, लेकिन कुछ कर गुजरने का जज्‍बा उन्‍हें पीछे नहीं हटने दे रहा था. नौकरी से भी कमाया, उससे भारत आकर एक बिजनेस डाला. पीयूष ने SearchMyCampus.com के नाम से एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया. यह पोर्टल छात्रों को घर खोजने, कोचिंग पता करने, जॉब, किताबें और ट्रांसपोर्टेशन खोजने में मदद करता था. कुछ साल इस पोर्टल को चलाने के बाद उन्‍होंने अपनी सबसे बड़ी कंपनी शुरू की.

कैसे हुई लेंसकार्ट की शुरुआत
ऑनलाइन पोर्टल चलाने के दौरान ही पीयूष को पता चल गया था कि भारतीय ग्राहकों की पसंद क्‍या है और उन तक कैसे पहुंचा जाए. उन्‍होंने साल 2010 में सुमित कपाथी और अमित चौधरी के साथ मिलकर Valyoo Technologies Pvt. Limited नाम से कंपनी बनाई, जिसका मौजूदा नाम लेंसकार्ट है. शुरुआत में यह कंपनी सिर्फ कॉन्‍टैक्‍ट लेंस बेचती थी, लेकिन धीरे-धीरे यहां गॉगल और चश्‍मे भी बिकने शुरू हो गए.

भारत में कितने स्‍टोर
लेंसकार्ट आज हजारों करोड़ रुपये की कंपनी बन चुकी है. इसके पोर्टफोलियो में 5 हजार से ज्‍यादा चश्‍मे के फ्रेम और 46 से ज्‍यादा हाई क्‍वालिटी कॉन्‍टैक्‍ट लेंस शामिल हैं. देशभर में लेंसकार्ट के करीब 1,550 स्‍टोर खोले जा चुके हैं. उनकी कंपनी ने फ्रेंचाइजी मॉडल शुरू किया, जिसके बाद देश के हर कोने में इसकी पहुंच हो गई है. इतना ही नहीं कई देशों में भी कंपनी का आउटलेट लगातार खुलता जा रहा है.

कंपनी में पीयूष का कितना हिस्‍सा
लेंसकार्ट में पीयूष बंसल का हिस्‍सा कई कंपनियों और निवेशकों से भी कम है. फिलहाल इसमें सबसे ज्‍यादा हिस्‍सेदारी सॉफ्टबैंक की है, जिसके पास 20.1 फीसदी शेयर हैं. दूसरे नंबर पर मौजूद प्रेमजी इनवेस्‍ट के पास 11.1 फीसदी, केदारा कैपिटल के पास 9.5 फीसदी, टीआर कैपिटल के पास 8.3 फीसदी शेयर हैं, जबकि पीयूष बंसल के पास 8.2 फीसदी हिस्‍सेदारी ही बची है. उनकी पत्‍नी निमिषा बंसल के पास भी 8.2 फीसदी की हिस्‍सेदारी है. इसके अलावा यूनिलेजर के पास 6.6 फीसदी, इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन के पास 5.4 फीसदी, स्‍टीड व्‍यू कैपिटल के पास 5.3 फीसदी, अबुधाबी इनवेस्‍टमेंट अथॉरिटी के पास 10 फीसदी, जबकि अन्‍य निवेशकों के पास 16.2 फीसदी की हिस्‍सेदारी है.

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