Rakshabandhan: सोना, चांदी, रेशम या सूत? बहनें जान लें भाइयों को कब फायदा करेगी…कौन सी राखी

Ujjain News: सावन के आखिरी दिन यानी सावन पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है. बहन-भाई के अटूट संबंध का प्रतीक यह पर्व साल 2025 में अगस्त महीने में पड़ेगा. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुरक्षा और खुशहाली की कामना करेंगी. भाई भी बहनों की रक्षा का वादा करेंगे. रक्षाबंधन पर राखी बांधते समय धागे की सामग्री का भी महत्व होता है.

कब मनाया जाएगा रक्षाबंधन?
उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज ने बताया, हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शुरू हो रही है, जो 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा.

रेशम या सूत?
अक्सर देखा जाता है कि रक्षाबंधन के लिए सबसे पारंपरिक और आम धागा रेशम या सूत का होता है. रेशम की राखी को अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह पवित्रता, कोमलता और प्रेम का प्रतीक है. रेशम की राखी नरम होती है, जो रिश्तों की नाजुकता और मजबूती दोनों को दर्शाती है. सूत या रेशम की राखी पहनने से भाई की रक्षा का आशीर्वाद मिलता है और यह परंपरा से जुड़ी एक सुंदर अभिव्यक्ति होती है.

चांदी की राखी शुभ या अशुभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चांदी का संबंध चंद्रमा से हो गया है, इसलिए जिन भाइयों की कुंडली में चंद्र दोष हो उनकी बहनें चांदी की राखी बांधें तो इस दोष से मुक्ति मिल सकती है, इसलिए चांदी की राखी बांधना शुभ होता है. चांदी शीतलता और मानसिक शांति का प्रतीक है, जो मनोवैज्ञानिक रूप से भी भाई को सुकून देती है.

सोने की राखी शुभ या अशुभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोना सदैव से धन, समृद्धि और वैभव का प्रतीक रहा है. सोने की राखी भी खास अवसरों पर बहनें अपने भाइयों को बांधती हैं. सोने की राखी न केवल भाई के लिए बहन के गहरे स्नेह को दर्शाती है, बल्कि यह उसकी उन्नति और खुशहाली की कामना भी करती है. इसलिए, शास्त्रों में सोने की राखी बांधना शुभ माना जाता है.

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