Pushkar Dham: चारधाम की यात्रा पुष्कर स्नान के बिना अधूरी, जानिए पौराणिक कथा!

Show Quick Read

Key points generated by AI, verified by newsroom

Importance of Pushkar Snan: हिंदू धर्म के अनुसार, देवउठनी एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलने वाले पुष्कर स्नान को लेकर मान्यता है कि, इसके बिना चारधाम की यात्रा का पुण्य फल अधूरा माना जाता है. पूरे साल में इन 5 दिनों में पुष्कर स्नान का विशेष महत्व होता है.

कार्तिक पूर्णिमा के दिन इसकी महत्ता और अधिक बढ़ जाती है. इन पांच दिनों को भीष्म पंचक के नाम से भी जाना जाता है. 

पुष्कर से जुड़ी पौराणिक कथा

पुष्कर से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि, एक बार ब्रह्मांड के रचयिता ब्रह्मा जी ने पृथ्वी लोक पर यज्ञ करने का निर्णय लिया. उस वक्त पृथ्वी लोक पर हर और वज्रनाभ नाम के असुर का आतंक था. वह असुर बच्चों को जन्म के बाद ही मार देता था. 

उसके इस आतंक की जानकारी ब्रह्मलोक तक पहुंची. जिसके बाद ब्रह्मा जी ने उस दैत्य का अंत करने का निश्चय किया. ब्रह्मा जी ने अपने कमल पुष्प से प्रहार कर वज्रनाभ असुर का अंत कर दिया. उस पुष्प का प्रहार इतना भीषण था कि, जहां वह गिरा उस स्थान पर एक विशाल सरोवर बन गया.

हाथों से पुष्प द्वारा किए गए प्रहार से इस सरोवर का निर्माण होने के कारण इसका नाम पुष्कर सरोवर पड़ा. ब्रह्माजी के द्वारा यहां यज्ञ करने से इस सरोवर को आदि तीर्थ होने का भी दर्जा प्राप्त हो गया.

पुष्कर यात्रा का संपूर्ण फल कैसे प्राप्त करें?

ऐसी कई पौराणिक कथाएं हैं, जो तीर्थराज पुष्कर के महत्व को दर्शाती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि, भारत देश में ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर पुष्कर में ही है.

पुष्कर को लेकर मान्यताएं है कि, यहां किया हुआ जप-तप और पूजा पाठ अक्षय फल के बराबर होता है. विशेष रूप से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर पूर्णिमा के दौरान. आपको पुष्कर यात्रा का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है, जब आप यज्ञ पर्वत पर स्थित अगस्त्य कुंड में स्नान करते हैं.

पुष्कर मंदिर के पुजारी गुर्जर समुदाय से

राजस्थान के अजमेर शहर से 11 किलोमीटर दूर 52 घाटों और करीब 3 किलोमीटर के दायरे में फैला पुष्कर विश्व पर प्रसिद्ध है. पुष्कर सरोवर भी तीन हैं. ज्येष्ठ, मध्य और कनिष्ठ पुष्कर है. जिसमें ज्येष्ठ पुष्कर के स्वामी ब्रह्माजी, मध्य पुष्कर श्री विष्णु और कनिष्ठ पुष्कर के देवता रुद्र हैं.

पुष्कर मंदिर के पुजारी गुर्जर समुदाय से होते हैं, जिन्हें भोगा के नाम से जाना जाता है. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

.

Share me..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *