भारत के टेक्सटाइल एक्सपोर्ट पर खतरा, टैरिफ के चलते दूसरे देशों में शिफ्ट हो सकता है प्रोडक्शन

Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 परसेंट टैरिफ लगा दिया है. इससे भारत अब ब्राजील सहित उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिन पर सबसे ज्यादा अमेरिकी टैरिफ लगाया गया है. ट्रंप के इसी फैसले के साथ भारत से अमेरिका को सालाना होने वाले 87,000 करोड़ रुपये के टेक्सटाइल एक्सपोर्ट पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं. ऐसे एक्सपोटर्स जिनका मैन्युफैक्चरिंग बेस विदेशों में हैं, वे अब अपना प्रोडक्शन भारत से बाहर शिफ्ट करने का प्लान बना रहे हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. 

इन एशियाई देशों में शिफ्ट हो सकता है प्रोडक्शन 

पर्ल ग्लोबल इंडस्ट्रीज का कहना है कि अमेरिका में निर्यात होने वाले कपड़ों के प्रोडक्शन को हम और अधिक अनुकूल केंद्रों पर शिफ्ट करने का सोच रहे हैं. कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर पल्लब बनर्जी ने कंपनी की तिमाही के नतीजों का ऐलान करते हुए कहा था, ”हमें वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और ग्वाटेमाला के अपने परिचालनों के लिए अमेरिकी ग्राहकों से पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिल रहा है.” 

अफ्रीका में भी प्रोडक्शन शिफ्ट करने की तैयारी 

दूसरे टॉप गारमेंट और टेक्सटाइल एक्सपोटर्स ने ईटी से बात करते हुए कहा कि अमेरिकी ऑडर्स के लिए वे अपना प्रोडक्शन अफ्रीका में शिफ्ट करने का प्लान बना रहे हैं. उनका कहना है कि अफ्रीका में उनकी मैन्युफैक्चरिंग फेसिलिटी में अमेरिकी ऑडर्स के लिए अपना प्रोडक्शन शिफ्ट करने का प्लान है. पर्ल ग्लोबल की मैन्युफैक्चरिंग भारत, बांग्लादेश, वियतनाम, इंडोनेशिया और ग्वाटेमाला में होती है. कंपनी चिकोस, कोहल्स, ओल्ड नेवी, पोलिगोनो, प्राइमार्क, पीवीएच, राल्फ लॉरेन, स्टाइलम और टारगेट जैसे ग्लोबल ब्रांड्स को सप्लाई करती है. 

भारत के लिए विकास के रास्ते

भारत पर अब 50 परसेंट टैरिफ लगाए जाने की बात पर पल्लब बनर्जी ने कहा कि कंपनी इन बदलती परिस्थितियों के बीच अपने बिजनेस स्ट्रैटेजी पर फिर से काम कर रही है. उन्होंने बताया कि अमेरिकी बाजारों के लिए प्रोडक्शन को अधिक अनुकूल केंद्रों में शिफ्ट किया जाएगा. वहीं, भारत ब्रिटेन के साथ हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट जेसे दूसरे साझेदारियों का लाभ उठाकर और जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे अपने अन्य FTA मार्केट्स पर फोकस कर तब तक अपना विकास जारी रख सकता है जब तक कि टैरिफ का मुद्दा हल नहीं हो जाए.  

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