MP में SIR पर सियासी संग्राम! कांग्रेस बोली-वोट कटाई की साजिश, बीजेपी ने बताया पारदर्शी अभियान

MP SIR Update: मध्य प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मुद्दा खासा गरमाया हुआ है. राज्य में हाल ही में 7000 नए मतदान केंद्र बनाए गए हैं. लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि इनमें BLO की नियुक्ति ही नहीं हुई. SIR प्रक्रिया अधूरी तैयारी के साथ शुरू कर दी गई. मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जितू पटवारी ने कहा कि BLO को पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं दी गई. वे घर-घर जाकर सही जांच कैसे करेंगे? पार्टी ने राज्य निर्वाचन आयोग को शिकायती पत्र लिखा है. इसमें मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए हैं. फर्जी नाम जोड़ने या हटाने के मानदंड साफ नहीं हैं. जल्दबाजी में प्रक्रिया चल रही है, जिससे गरीब वोटरों के नाम कटने का खतरा है. पटवारी ने बिहार का हवाला देते हुए कहा कि वहां SIR से विपक्ष डर गया था, यहीं मध्य प्रदेश में दोहराया जा रहा है.

कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मांग की है कि SIR की पूरी समीक्षा हो. नए केंद्रों में BLO तैनात करें, ट्रेनिंग पूरी करें और पारदर्शिता लाएं. पार्टी ने सुझाव भी दिए हैं, जैसे फॉर्म भरने में आसानी और शिकायत निवारण तंत्र मजबूत करना. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस नेता राशिद अल्वी और पवन खेड़ा ने भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि आयोग की नीयत पर शक है. क्या यह वोट चोरी का जरिया तो नहीं? बिहार में नए वोटर जोड़ने पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया?

दूसरी तरफ, बीजेपी SIR का समर्थन कर रही है. प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि यह जरूरी प्रक्रिया है, जो फर्जी वोटिंग रोकेगी. विपक्ष के आरोप बेबुनियाद हैं. उन्होंने सवाल किया कि अगर गड़बड़ी है, तो जमीनी स्तर पर शिकायत क्यों नहीं की जा रही? चुनाव आयोग ने भी सफाई दी कि 89 लाख शिकायतों का दावा झूठा है, सिर्फ 16 आवेदन आए.

यह विवाद मध्य प्रदेश की राजनीति को और गर्म कर रहा है. 2023 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत के बाद कांग्रेस कमजोर हुई है. SIR से अगर विपक्ष के वोट कटे, तो 2028 के चुनाव प्रभावित हो सकते हैं. विपक्षी दल जैसे टीएमसी और डीएमके भी बंगाल-तमिलनाडु में विरोध कर रहे हैं. वे कहते हैं कि SIR चुनाव से पहले क्यों, बाद में क्यों न हो? कुल मिलाकर, SIR पारदर्शिता का नाम है, लेकिन राजनीतिक चालबाजी का शक भी मंडरा रहा है. मध्य प्रदेश के लाखों वोटरों के लिए यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण है, ताकि उनका हक छिना न जाए. चुनाव आयोग को अब ठोस कदम उठाने होंगे, वरना विवाद बढ़ेगा.

भारत में लोकतंत्र की बुनियाद मतदाता सूची पर टिकी होती है. अगर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी हो, तो चुनाव के नतीजे प्रभावित हो सकते हैं. इसी को साफ-सुथरा बनाने के लिए चुनाव आयोग समय-समय पर विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) चलाता है. SIR का मतलब है मतदाता सूची का खास तरीके से गहराई से जांचना. इसमें बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर लोगों की जानकारी चेक करते हैं. पुराने या गलत नाम हटाए जाते हैं, नए नाम जोड़े जाते हैं. दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड या वोटर आईडी से पुष्टि होती है. यह प्रक्रिया हर साल नहीं, बल्कि जरूरत पड़ने पर होती है.

पिछले साल बिहार में SIR का पहला चरण चला था. वहां 6.5 करोड़ से ज्यादा वोटरों की लिस्ट चेक हुई. कई फर्जी नाम हटे, लेकिन विपक्ष ने इसे ‘वोट कटाई’ का हथियार बताया. कांग्रेस और अन्य दलों ने कहा कि गरीबों, मजदूरों और प्रवासियों के नाम काटे जा रहे हैं, जो विपक्ष के वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकता है. चुनाव आयोग ने दावा किया कि यह पारदर्शी प्रक्रिया है और कोई शिकायत पर कार्रवाई की जाती है. लेकिन बिहार के अनुभव से सबक लेते हुए अब दूसरे चरण की घोषणा हुई है.

4 नवंबर 2025 से देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR का दूसरा फेज शुरू हो गया है. इनमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, गोवा, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप शामिल हैं. यह अभियान 7 फरवरी 2026 तक चलेगा. चुनाव आयोग के मुताबिक, 5 लाख BLO और 7.5 लाख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि इसमें लगेंगे. मकसद है 2026-27 के विधानसभा चुनावों से पहले लिस्ट को शुद्ध बनाना. आयोग कहता है कि बिहार में कोई बड़ी शिकायत नहीं आई, इसलिए यह सबसे साफ वोटर लिस्ट बनेगी. लेकिन विपक्ष असहमत है.

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