मध्य प्रदेश के सतना जिले में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। रामपुर बाघेलान तहसील की ग्राम पंचायत अकौना में ग्राम पंचायत सचिव विजय सिंह व रोजगार सहायक आरती सिंह की मिलीभगत से कागजों में 77 पीएम आवास बनाकर करीब डेढ़ करोड़ रुपये की राशि हड़पे जाने की शिकायत पर जांच शुरू हुई है।
By ADITYA KUMAR
Publish Date: Tue, 22 Jul 2025 09:24:36 PM (IST)
Updated Date: Tue, 22 Jul 2025 09:24:36 PM (IST)
नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना। मध्य प्रदेश के सतना जिले में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। रामपुर बाघेलान तहसील की ग्राम पंचायत अकौना में ग्राम पंचायत सचिव विजय सिंह व रोजगार सहायक आरती सिंह की मिलीभगत से कागजों में 77 पीएम आवास बनाकर करीब डेढ़ करोड़ रुपये की राशि हड़पे जाने की शिकायत पर जांच शुरू हुई है। जांच में कई लाभार्थियों के पीएम आवास की जगह झोपड़ियां पाई गई हैं। जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजना जैन का कहना है कि मौके पर जांच टीम को भेजा गया है।
जब कमीशन नहीं मिला तो मामला सार्वजनिक
जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। जानकारी के अनुसार गत चार जून को एक ग्रामीण ने इस फर्जीवाड़े की शिकायत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से की थी, इसके बाद यह मामला सामने आया। मजे की बात यह है कि कथित लाभार्थियों को विश्वास में लेकर यह धांधली की गई। उनमें से कई ग्रामीणों को जब कमीशन नहीं मिला तो मामला सार्वजनिक हो गया। कुछ कथित लाभार्थियों ने नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर बताया कि उन्हें आवास के नाम पर कमीशन देने की बात गांव के पंचायत सचिव व रोजगार सहायक ने कही थी।
डेढ़ करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा
इस लालच में आकर उन्होंने दूसरों के पीएम आवास के सामने खड़ा होकर अपने फोटो भी खिंचवा लिए। यही नहीं कथित लाभार्थियों में ऐसे लोग भी शामिल बताए गए हैं जो अपात्र हैं। उनके नाम पक्का मकान और ट्रैक्टर भी है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में प्रति लाभार्थी 1.20 लाख रुपये और मजदूरी के रूप में 17 हजार रुपये का भुगतान शासकीय कोष से निकाले जाने की बात सामने आई है। इस हिसाब से इसे करीब डेढ़ करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा बताया जा रहा है। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही असली खेल सामने आएगा।
डेटाबेस में जहां पक्के घर वहां झोपड़ियां या खपरैल के मकान
अकौना गांव में पहुंची जांच टीम भी हतप्रभ रह गई। सूत्रों के अनुसार डेटा बेस में जहां पक्के प्रधानमंत्री आवास दर्शाए गए हैं, वहां या तो झोपड़ियां मिलीं या खपरैल मकान। कई घर ऐसे भी मिले जहां सिर पर छत के नाम पर प्लास्टिक की पन्नी तनी है। कुछेक जगह टीनशेड भी मिले। जांच टीम का कहना है कि जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने से पहले कुछ भी बताना संभव नहीं है।
पहले भी हो चुका है फर्जीवाड़ा
सतना जिले में पहले भी पीएम ग्रामीण आवास योजना में फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। 2022 में नागौद में 55 आवासविहीन गरीबों के नाम पर फर्जीवाड़ा सामने आया था। उस समय मृतकों के नाम पर भी आवास स्वीकृत हुए और धनराशि उन खातों में भेजगी गई, जिनके मकान बने ही नहीं। तब पीएम आवास के 1.20 लाख रुपये मिलते थे। इस मामले में पूर्व सरपंच, पंचायत समन्वय अधिकारी और रोजगार सहायक पर मामला भी दर्ज हुआ था।
निरीक्षण करने आई जांच टीम को सचिव व रोजगार सहायक ने अपात्र हितग्राहियों के घर तक नहीं जाने दिया। कुछ कथित लाभार्थी जरूर सामने आए हैं। जांच अभी पूरी नहीं हुई है।
– श्रद्धा सिंह, सरपंच, ग्राम पंचायत अकौना।
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