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Peepal Tree Benefits: हिंदू धर्म में पीपल का पेड़ ईश्वर का प्रतीक माना गया है. इसकी पूजा करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं आयुर्वेद में इसे डायबिटीज, हृदय रोग और सांस की बीमारियों में रामबाण औषधि बताया गया है. विज्ञान के अनुसार, यह 24 घंटे ऑक्सीजन देने वाला पेड़ है.
सीकर. हिंदू धर्म शास्त्रों में पीपल के वृक्ष को धरती का सबसे पवित्र पेड़ माना गया है. इसे ईश्वर का प्रत्यक्ष रूप कहा गया है, क्योंकि इसमें भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण का वास बताया गया है. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार, पीपल के वृक्ष की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए हिंदू महिलाएँ विशेष रूप से व्रत के दिनों में इसकी पूजा करती हैं. इस वृक्ष को न केवल धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी शुद्ध माना जाता है क्योंकि यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है.

पीपल के पेड़ को तीर्थों का निवास भी कहा गया है, क्योंकि इसमें पितरों और देवताओं का वास होता है. धार्मिक दृष्टि से इसे लगाना बेहद शुभ माना गया है. धर्म विशेषज्ञ के अनुसार, कई ग्रंथों में उल्लेख है कि पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान और साधना करने से मन को शांति और आत्मिक बल प्राप्त होता है. यही कारण है कि मंदिरों या घरों के आंगन में पीपल का पेड़ लगाना शुभ माना जाता है. पीपल का पेड़ न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा का भी स्रोत माना जाता है.

पीपल का पेड़ दिखने में भी सुंदर और खास नज़र आता है. इसकी जड़ें बहुत गहरी और दूर तक फैली होती हैं, जिससे यह वर्षों तक जीवित रहता है. इसके तने से सफेद रंग का दूध जैसा पदार्थ निकलता है, जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है. वट वृक्ष की तरह इसमें भी जटाएँ निकलती हैं, जो देखने में सुंदर लगती हैं और पेड़ की आयु बढ़ाने में मदद करती हैं. धर्म विशेषज्ञों का कहना है कि पीपल के वृक्ष को काटना पाप माना गया है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, चाहे यह पेड़ सड़क किनारे या नदी के पास उग जाए, इसे कभी नहीं काटना चाहिए, क्योंकि यह देवों का वास होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है.

धर्म विशेषज्ञों ने बताया कि पीपल के वृक्ष को काटना पाप माना गया है और ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में अशुभ प्रभाव पड़ सकता है. इसकी लकड़ी को जलाना भी वर्जित माना गया है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु का स्वरूप समझा जाता है. पीपल का पेड़ धार्मिक महत्व के साथ-साथ आयुर्वेदिक दृष्टि से भी बहुत लाभदायक है. इसमें ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं जो कई रोगों में उपयोगी सिद्ध होते हैं. आयुर्वेदाचार्य सुरेंद्र व्यास बताते हैं कि इसके पत्ते, छाल और दूध सभी भाग औषधि के रूप में काम आते हैं. यह पेड़ न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है (क्योंकि यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है), बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी वरदान स्वरूप है.

आयुर्वेदाचार्य ने बताया कि पीपल की पत्तियों से निकलने वाला रस आँखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इस रस को आँखों में लगाने से आँखों का दर्द और जलन कम होती है. इसके अलावा, पीपल की छाल से बना काढ़ा कुक्कुर खांसी या पुरानी खांसी में बहुत असरदार माना जाता है. वे आगे बताते हैं कि नियमित रूप से पीपल का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) भी बढ़ती है. ऐसे में अनेकों घरेलू नुस्खे में भी पीपल के पेड़ का उपयोग होता है. इसके छाल से बना काढ़ा भी मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है.

आयुर्वेद में पीपल की छाल और पत्ते मधुमेह (डायबिटीज) जैसे रोगों में भी लाभदायक हैं. इसकी छाल से बना काढ़ा पित्त दोष को दूर करता है और रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रित करता है. वहीं, पीपल के पत्तों से बनी गोलियाँ पेट दर्द में असरदार होती हैं. ऐसे में पीपल का पेड़ न केवल धार्मिक दृष्टि से पवित्र है, बल्कि चिकित्सा दृष्टि से भी बहुत खास है. आयुर्वेद में इसके उपयोग से अनेकों दवाइयाँ भी बनाई जाती हैं, जो कई रोगों में कारगर औषधि के रूप में काम करती हैं.