झाबुआ जिले में मंगलवार को आदर्श ग्रामीण पटेल संघ के बैनर तले पटेलों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर कलेक्टर, राजस्व मंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। उन्होंने पीढ़ी-दर-पीढ़ी ग्रामीण व्यवस्था की रीढ़ रहे इन ग्राम अधिकारियों के साथ हो रहे अन्याय को
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पटेलों ने बताया कि वे मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 222 के तहत विधिवत नियुक्त हैं और लगभग 67 वर्षों से इस पद पर सेवा दे रहे हैं। इसके बावजूद, उन्हें आज तक कोई मानदेय या आर्थिक सहयोग नहीं मिला है। वे अपने कर्तव्यों का पालन स्वयं के खर्च पर कर रहे हैं।
मानदेय देन की मांग की
उन्होंने अपनी तुलना ग्राम कोटवारों से की, जिनका कार्य और नियुक्ति प्रक्रिया पटेलों के समान है। कोटवारों को सरकारी सेवा भूमि के साथ-साथ 9000 रुपए तक का मासिक मानदेय भी मिलता है। पटेलों ने मांग की है कि उन्हें भी सम्मानजनक मानदेय दिया जाए।
एक अन्य प्रमुख मांग स्थायी नियुक्ति और पहचान से जुड़ी है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी सेवा देने के बावजूद, उन्हें स्थायी नियुक्ति पत्र और परिचय पत्र जारी नहीं किए गए हैं। उन्होंने पुराने शासकीय रिकॉर्ड और वर्तमान सेवा को आधार मानकर, शैक्षणिक योग्यता जैसी शर्तों में छूट के साथ स्थायी नियुक्ति पत्र जारी करने की मांग की है।
पटेलों ने यह भी बताया कि उनके सेवाकाल में मृत्यु होने पर, उनके उत्तराधिकारी ग्रामीण व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बिना किसी औपचारिक नियुक्ति के तुरंत कार्यभार संभाल लेते हैं। यह उनकी निष्ठा और समर्पण को दर्शाता है।

आदर्श ग्रामीण पटेल संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पटेल ने स्पष्ट किया कि अब उनकी लड़ाई निर्णायक होगी। वे न केवल मानदेय चाहते हैं, बल्कि यह भी मांग करते हैं कि उनके पैतृक अधिकार सुरक्षित रहें और पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस कार्य में लगे पटेलों की जगह बाहरी व्यक्तियों की नियुक्ति न की जाए।