उज्जैन जिले में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पाड़ों की लड़ाई का आयोजन किया गया। बुधवार को शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर भैरवगढ़ क्षेत्र के रलायता भोज गांव में यह आयोजन हुआ। इस पारंपरिक लड़ाई को देखने के लिए आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में
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जिले में दीपावली पर्व के बाद पाड़ों की लड़ाई की परंपरा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग वर्षों से खाली मैदानों या बड़े खेतों में ऐसे आयोजनों का प्रबंध करते आ रहे हैं। यह आयोजन अब जीत-हार के बजाय केवल परंपरा के निर्वहन के लिए किए जाते हैं।
आयोजन के लिए ग्रामीण अपने पाड़ों को लेकर पहुंचते हैं। पाड़ों को सजाकर ढोल-ढमाकों के साथ मैदान में लाया जाता है। हजारों की भीड़ के सामने इन पाड़ों को एक-दूसरे के सामने छोड़ा जाता है, जहां वे आपस में लड़ते हैं।
आयोजक राजेश भाटी ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा पर पाड़ा लड़ाई का यह एक बड़ा आयोजन होता है। इसे देखने के लिए उज्जैन सहित अन्य स्थानों से भी लोग आते हैं। यहां बड़े पाड़ों की जोड़ियां हैं, जिनकी कीमत लगभग 3 से 4 लाख रुपए तक होती है। गांव में इन पाड़ों को देशी घी, दूध और अन्य पौष्टिक आहार देकर पाला जाता है।
तस्वीरों में देखिए…
जीत और शेरावाली पाड़े की हुए भिंड़त।

लड़ाई देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं।

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