सिवनी में भुजरिया पर्व पर महिलाओं ने कजली गीत गाये: सुख-समृद्धि की कामना कर विसर्जन किया, एक-दूसरे को दीं शुभकामनाएं – Seoni News

सिवनी जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में भुजलिया पर्व (कजलियां) मनाया गया। इस अवसर पर लोगों ने अपने घरों में बोई गई भुजलियां को रक्षाबंधन पर पूजन-अर्चन कर दूध अर्पित किया।

.

शाम के समय भुजलियों का विसर्जन किया गया। लोगों ने एक-दूसरे को भुजलियां देकर शुभकामनाएं दीं और सारे शिकवे भुलाकर गले मिलकर पर्व मनाया। मान्यता है कि यह प्रकृति प्रेम से जुड़ा पर्व है।

जिले के धनोरा, घंसौर, लखनादौन, छपारा, केवलारी, बरघाट और कुरई विकासखंडों में लोगों में त्योहार को लेकर उत्साह देखने मिला। महिलाओं ने एक झूले में भुजरियों को रखकर झूला झुलाया और परिक्रमा कर सुख-समृद्धि की कामना की। साथ ही कजली गीत भी गाए।

इसके बाद महिलाएं गांव के प्रमुख मार्गों से होकर तालाब तक पहुंचीं। वहां भुजरियों की टोकरी विसर्जित कर भुजरियां अपने घर लाईं। अंत में सभी ने एक-दूसरे से मिलकर मेहरबानी बनाए रखने की बात की।

आयोजन से जुड़ी 4 तस्वीरें देखिए-

पर्व को लेकर ये है मान्यता

मान्यता अनुसार, सावन महीने की अष्टमी-नवमी को छोटी टोकरियों में गेहूं और जौ के दाने बिछाकर मिट्टी और खाद डाली जाती है। जब गेहूं अंकुरित होती है तो उसमें पानी सींचा जाता है। रक्षाबंधन तक गेहूं के पौधे भुजलिया के रूप में तैयार हो जाते हैं। इनका विधि-विधान से पूजन कर दूध चढ़ाया जाता है।

माना जाता है कि रक्षाबंधन के दिन पूजन और दूध चढ़ाने के बाद भुजलिया का बढ़ना बंद हो जाता है। अगले दिन शाम को भुजलियों का जलाशय, तालाब या नदी में विसर्जन किया जाता है।

विसर्जन के बाद भुजलियों की मिट्टी धोकर सबसे पहले ईष्ट देवी-देवताओं के मंदिरों में चढ़ाई जाती है। वहां संपूर्ण विश्व की सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। इसके बाद भुजलियों का वितरण कर सहपाठियों से गले मिलकर और बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त कर पर्व मनाया जाता है।

.

Source link

Share me..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *