भाद्रपद मास की अजा/जया एकादशी 19 अगस्त को: दक्षिणावर्ती शंख से करें भगवान विष्णु का अभिषेक, शिवलिंग पर चढ़ाएं लाल गुलाल और लाल फूल

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4 घंटे पहले

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कल (मंगलवार, 19 अगस्त) भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है, इसे अजा और जया एकादशी कहा जाता है। इस बार ये एकादशी मंगलवार को होने से इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही शिव जी और मंगल देव की पूजा एक साथ करने का शुभ योग बना है।

एकादशी को शास्त्रों में पापनाशिनी तिथि कहा गया है। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम का अध्याय है। इसमें सालभर की सभी एकादशियों के बारे में बताया गया है। अजा एकादशी व्रत करने से जाने-अनजाने में किए गए पापों का फल खत्म होता है। ऐसी मान्यता है। इस व्रत को अजा एकादशी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि ये व्रत भक्त अजा अर्थात जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त करती है, ये व्रत भक्त को मोक्ष दिलाता है। ऐसी मान्यता है।

इस वर्ष अजा एकादशी मंगलवार को पड़ रही है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ज्योतिष में मंगल देव को मंगलवार का कारक ग्रह कहा जाता है। इसलिए एकादशी और मंगलवार के योग में विष्णु जी के साथ ही मंगल ग्रह की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। मंगल की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह से जुड़े दोष हैं, उन्हें शिवलिंग पर जल, बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, लाल फूल और लाल गुलाल चढ़ाना चाहिए और लाल मसूर की दाल का दान करना चाहिए। मंगल के मंत्र ऊँ भों भौमाय नम: मंत्र का जप करें।

एकादशी पर ऐसे कर सकते हैं पूजा-पाठ

  • ब्रह्ममुहूर्त में उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें। ऊँ सूर्याय नमः मंत्र का जप करें। लाल फूल और चावल अर्पित करें।
  • घर या मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने पूजा और व्रत करने का संकल्प लें। पंचामृत से विष्णु जी को स्नान कराएं, तुलसी के पत्ते अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जप करें।
  • तुलसी को विष्णु प्रिय माना जाता है। बिना तुलसी भगवान विष्णु भोग नहीं स्वीकार करते। एकादशी पर विष्णु जी के साथ ही तुलसी की पूजा भी जरूर करनी चाहिए। सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं, तुलसी नामाष्टक का पाठ करें। तुलसी की परिक्रमा करें, लेकिन सूर्यास्त के बाद तुलसी को स्पर्श न करें।

तुलसी नामाष्टक: वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम। यः पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

  • एकादशी पर दान-पुण्य करें। एकादशी पर दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। गौशाला में दान दें, गायों को हरी घास खिलाएं। तालाब में मछलियों के लिए आटे की गोलियां डालें। चींटियों को आटा-शक्कर अर्पित करें। पक्षियों के लिए छत पर दाना-पानी रखें। जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े, छाता, जूते आदि का दान करें। छोटे बच्चों को मिठाई खिलाएं या भोजन कराएं।
  • एकादशी पर जो लोग व्रत करते हैं, वे पूरे दिन अन्न का त्याग करते हैं और दिनभर भगवान के मंत्रों का जप करते हैं, सुबह-शाम को भी विष्णु जी की पूजा करते हैं। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर फिर से पूजा की जाती है, जरूरतमंद लोगों को भोजन कराया जाता है, इसके बाद भक्त स्वयं भोजन करते हैं। इस तरह एकादशी व्रत पूरा होता है।

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