अब सरसों-पालक नहीं, इस साग को बनाएं और पाएं ल्यूकोरिया, दांत, पेचिश से राहत

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आज के समय में भी लोग आयुर्वेद पर विश्वास करते हैं क्योंकि आयुर्वेद में हर मर्ज का इलाज है. ऐसी ही एक औषधि है चौलाई, जो हमारी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. इसमें कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिनके इस्तेमाल से शरीर के कई रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है. आइए जानते है इसके जबरदस्त फायदे….

वैसे हमारे देश में तमाम तरह के साग-सब्जियां पाई जाती हैं, जिनका लोग नियमित रूप से सेवन भी करते हैं. लेकिन, अधिकांश लोग इनके स्वास्थ्य लाभों से अनजान रहते हैं. ऐसी ही एक पौष्टिक सब्जी है चौलाई, जो लाल और हरे दोनों रंगों में पाई जाती है. यह केवल स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि अनेक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में भी सहायक है. विटामिन सी से भरपूर चौलाई का साग गर्मी और बरसात के मौसम में आसानी से मिल जाता है.

हरा साग

जिला अस्पताल बाराबंकी के चिकित्सक डॉक्टर अमित वर्मा (एमडी मेडिसिन) ने बताया कि हमारे यहां बहुत सी ऐसी साग-सब्जियां हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हैं. इन्हीं में से एक है चौलाई. इसमें भरपूर मात्रा में औषधीय गुण पाए जाते हैं, जैसे कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व, जो हमें कई बीमारियों से बचाते हैं.

हरा साग

ल्यूकोरिया की समस्या से पीड़ित महिलाएं चौलाई का उपयोग कर लाभ उठा सकती हैं. लाल चौलाई की जड़ का पेस्ट बनाकर उसमें मधु और मण्ड मिलाकर सेवन करें. इससे ल्यूकोरिया में फायदा होता है.

हरा साग

त्वचा संबंधी विकारों में भी चौलाई का इस्तेमाल प्रभावशाली ढंग से काम करता है. इसके लिए चौलाई की पत्तियों को पीसकर खुजली, दाद और त्वचा से संबंधित अन्य समस्याओं में लगाने से इन रोगों से छुटकारा मिलता है.

हरा साग

खांसी और खून आने की समस्या में चौलाई फायदेमंद साबित होती है. कई लोगों को खांसी के साथ खून आने की समस्या होती है, जिसमें चौलाई का प्रयोग लाभ पहुंचाता है. चौलाई पंचांग का काढ़ा बनाकर 15-30 मिली मात्रा में सेवन करें. इससे रक्तनिष्ठीवन (खांसी में बलगम के साथ खून आना) में राहत मिलती है.

हरा साग

दांतों के रोग में चौलाई को पीसकर दांतों पर रगड़ें. साथ ही, पौधे का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मुंह के छाले और दांतों के दर्द में भी लाभ होता है.

हरा साग

दस्त और पेचिश में चौलाई का उपयोग करना चाहिए. चौलाई के पौधे का काढ़ा बना लें और इसे 10-20 मिली मात्रा में पिएं. इससे पेचिश, दस्त और पेट से संबंधित अन्य रोगों में लाभ होता है.

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