सिर्फ दवा ही नहीं, मरीज का दिमाग भी करता है इस गंभीर बीमारी का इलाज, नई स्टडी में हुआ खुलासा

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Leptin’s Role in Diabetes: एक नई रिसर्च में पता चला है कि टाइप 1 डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए सिर्फ इंसुलिन ही नहीं, बल्कि लेप्टिन हार्मोन भी बेहद असरदार हो सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि लेप्टिन के जरिए …और पढ़ें

ब्रेन का हार्मोन लेप्टिन टाइप 1 डायबिटीज को कंट्रोल कर सकता है.

हाइलाइट्स

  • लेप्टिन हार्मोन टाइप 1 डायबिटीज में बेहद असरदार हो सकता है.
  • लेप्टिन से ब्रेन को टारगेट कर ब्लड शुगर कंट्रोल किया जा सकता है.
  • नई रिसर्च में लेप्टिन के जरिए इंसुलिन के बिना शुगर कंट्रोल संभव है.
New Study on Type 1 Diabetes: टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें मरीज के शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है. इसकी वजह से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. शरीर में इंसुलिन नहीं बन पाता है, तब शरीर एनर्जी के लिए फैट को ब्रेक करना शुरू कर देता है. इससे खून में शुगर और कीटोएसिड्स का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है, जिसे डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA) कहा जाता है. यह एक गंभीर कंडीशन है और इसका इलाज इंसुलिन से किया जाता है. अब एक नई रिसर्च में पता चला है कि इस प्रक्रिया में इंसुलिन ही नहीं, बल्कि ब्रेन भी अहम भूमिका निभाता है.

जर्नल ऑफ क्लीनिकल इन्वेस्टिगेशन में पब्लिश इस स्टडी में पता चला है कि लेप्टिन हॉर्मोन हमारे शरीर की फैट सेल्स द्वारा पैदा होता है और यह ब्रेन के हाइपोथैलेमस हिस्से में जाकर भूख और एनर्जी का संतुलन कंट्रोल करता है. जब इंसुलिन की कमी होती है, तो खून में लेप्टिन का स्तर भी गिर जाता है. इससे ब्रेन को यह संकेत मिलता है कि शरीर में एनर्जी की कमी है, जबकि शरीर में ग्लूकोज और फैट मौजूद होता है. ब्रेन इस सिग्नल पर प्रतिक्रिया करके शुगर और कीटोन का उत्पादन बढ़ा देता है, जिससे डायबिटिक कीटो एसिडोसिस की स्थिति पैदा हो जाती है.
साल 2011 में अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. माइकल श्वार्ट्ज और उनकी टीम ने चूहों और चूहियों के दिमाग में लेप्टिन इंजेक्ट किया, जिनमें टाइप 1 डायबिटीज थी. शुरुआत में इसका कोई खास असर नहीं हुआ, लेकिन 4 दिन बाद वैज्ञानिक हैरान रह गए, क्योंकि जानवरों का ब्लड ग्लूकोज और कीटोन स्तर बिना इंसुलिन के सामान्य हो गया. सिर्फ शुगर लेवल ही कम नहीं हुआ, बल्कि वह संतुलन में भी बना रहा. यह संकेत था कि ब्रेन अकेले ही ब्लड शुगर को कंट्रोल कर सकता है.

इस रिसर्च को अब वैज्ञानिकों का समर्थन मिल रहा है. जब 2011 में यह खोज सामने आई थी, तो वैज्ञानिक समुदाय इसे गंभीरता से नहीं ले पाया. अब सालों बाद प्रकाशित हुई नई स्टडी और विश्लेषण के बाद यह बात मजबूत हो रही है कि ब्रेन टाइप 1 डायबिटीज के इलाज में बड़ी भूमिका निभा सकता है. डॉ. श्वार्ट्ज अब अमेरिकी FDA से ह्यूमन ट्रायल की अनुमति लेने की योजना बना रहे हैं, ताकि यह परखा जा सके कि क्या लेप्टिन इंसानों में भी वही असर दिखा सकता है.

104 साल पहले इंसुलिन की खोज एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी, लेकिन अब नई खोज एक नेक्स्ट स्टेप हो सकता है. अगर लेप्टिन द्वारा शुगर को कंट्रोल किया जा सके, तो मरीजों को रोज इंसुलिन इंजेक्शन और ब्लड शुगर मॉनिटरिंग से मुक्ति मिल सकती है. इस नई खोज के अनुसार अगर ब्रेन को यह समझाया जा सके कि शरीर में पर्याप्त ऊर्जा है या अगर मस्तिष्क की वे नसें बंद की जा सकें जो ग्लूकोज और कीटोन के उत्पादन को ट्रिगर करती हैं, तो DKA को रोका जा सकता है. यह समझ एक पारंपरिक सोच को चुनौती देती है कि टाइप 1 डायबिटीज सिर्फ इंसुलिन की कमी से होती है.

अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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