यह भी बता दें कि शहर के बुरहानपुर दरवाजे के पास, पोस्ट ऑफिस चौराहे के कोने में मौजूद यह अति प्राचीन हनुमान मंदिर लगभग 350 साल से भी ज्यादा पुराना है. यह इकलौता ऐसा मंदिर भी है, जहां गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश, पूजा, प्रसाद चढ़ाने-खाने जैसे नियमों का बंधन नहीं है, जबकि अन्य मंदिरों में महिलाओं को गर्भगृह से दूर रखा जाता है. जबकि, महिलाएं इसे अपने भाई का घर मानती हैं, जहां वह बिना किसी रोक-टोक के आती हैं.
मान्यता है कि यहां हनुमानजी युवा अवस्था में विराजमान हैं, इसलिए महिलाएं उन्हें भाई मानती हैं. हर साल रक्षा बंधन के दिन भाई हनुमान को राखी बांधने महिलाएं थाल सजा कर यहां पहुंचती हैं. कोई चुनरी लाती है, कोई राखी और मिठाई लेकर आती हैं. हनुमानजी को भाई मानकर उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं. महिलाएं कहती हैं, हनुमानजी उनके लिए केवल भगवान नहीं, बल्कि भाई हैं, जो सुख-दुख, विपदा में साथ खड़े रहते हैं.
इसलिए भी महिलाओं के प्रवेश पर रोक नहीं
मंदिर के पुजारी राकेश ठक्कर बताते हैं, शास्त्रों में हनुमानजी की तीन अवस्थाएं होती हैं. बाल, युवा और वृद्ध अवस्था. बाल और वृद्ध अवस्था में महिलाओं को पूजा की कुछ सीमाएं, नियम होते हैं. लेकिन, युवा अवस्था में विराजमान हनुमानजी की पूजा महिलाएं कर सकती हैं. प्रसाद खा सकती हैं. राखी भी बांध सकती हैं, इसलिए इस मंदिर में महिलाओं की आस्था जुड़ी है.
माथे पर सिंदूर लगाने से दूर होती हैं बाधाएं
बता दें कि मंदिर की एक और खासियत है. यहां तीन मुखी हनुमानजी की मूर्ति विराजित है. भगवान अपने पैरों के नीचे राक्षस को दबाए हुए हैं. मान्यता है कि हनुमानजी के बाएं पैर का सिंदूर माथे पर लगाने से सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं. शत्रु शांत हो जाते हैं. रक्षाबंधन पर बहनें राखी के साथ यही सिंदूर अपने माथे पर लगाती हैं.
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