एंटीबायोटिक ही नहीं, ये दवाइयां भी बढ़ा देती है आंतों की बीमारियां, इंफेक्शन से हो जाएगा बुरा हाल, ये हैं नाम

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Non antibiotic Gut Infection: अगर आपको थोड़ी सी परेशानी पर दवाइयों को फांकने की आदत हैं तो सतर्क हो जाएं. इन दवाइयों से पेट में हलचल मच सकती है और इससे नया इंफेक्शन हो सकता है.

एंटीबायोटिक ही नहीं, ये दवाइयां भी बढ़ा देती है आंतों की बीमारियांइन दवाओं को खाने से पहले सौ बार सोचें.
Non antibiotic Gut Infection: अब तक हम यह मानते आए थे कि केवल एंटीबायोटिक दवाएं ही हमारी आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया यानी गट माइक्रोबायोम को नुकसान पहुंचाती हैं. लेकिन येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में पाया है कि कुछ सामान्य गैर-एंटीबायोटिक दवाएं भी आंतों की सेहत को बिगाड़ सकती हैं और संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकती हैं. यह रिसर्च बताती है कि सिर्फ एंटीबायोटिक ही नहीं, बल्कि कुछ आम और नियमित रूप से दी जाने वाली गैर-एंटीबायोटिक दवाएं भी आंतों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसलिए दवाओं का सेवन हमेशा सोच-समझकर और डॉक्टर की निगरानी में करना चाहिए.

शोधकर्ताओं ने बताया कि कुछ आमतौर पर दी जाने वाली दवाएं न सिर्फ माइक्रोबायोम की संरचना को बदल देती हैं, बल्कि शरीर को ऐसे एंटी-माइक्रोबियल तत्व बनाने के लिए प्रेरित करती हैं जो हमारे ही अच्छे बैक्टीरिया पर हमला कर सकते हैं. नतीजतन, आंतों का संतुलन बिगड़ता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है. मतलब हमारे पेट में खरबों गुड बक्टीरिया होते हैं जो आंतों में एक पूरा वातावरण तैयार करता है. ये हमारे कई काम करते हैं. जब आंतों के अंदर ये दवाइयां जाती हैं तो इन बैक्टीरिया को मार देती है. दूसरी ओर इन दवाइयों से ऐसे तत्व बन जाते हैं जो बैक्टीरिया को बाद तक नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए यह पूरे गट माइक्रोबायोम को खराब कर देते हैं और इसका परिणाम बहुत दिनों तक भुगतना पड़ता है. यह अध्ययन जर्नल ‘नेचर’ में प्रकाशित हुआ है.

किन-किन दवाइयों से नुकसान
इस रिसर्च में 10 लाख से अधिक लोगों का मेडिकल डेटा शामिल किया गया. यह डेटा लगभग 10 साल पुराना था. विश्लेषण के लिए शोधकर्ताओं ने 21 गैर-एंटीबायोटिक दवाएं चुनीं और उनका गहराई से अध्ययन किया. नतीजों में पाया गया कि इनमें से लगभग आधी दवाएं आंतों के माइक्रोबायोम की संरचना में बदलाव से जुड़ी हुई हैं. इनमें से कुछ प्रमुख दवाइयां हैं जो आमतौर पर इस्तेमाल की जाती है. रिपोर्ट के अनुसार, चार दवाएं माइक्रोबायोम पर विशेष रूप से असर डालती हैं. ये हैं हार्ट डिजीज में दी जाने वाली डिगोक्सिन, मिर्गी और एंग्जायटी के इलाज में उपयोगी क्लोनाजेपाम, एसिडिटी और पेट की समस्याओं के लिए दी जाने वाली पैंटोप्राजोल और मानसिक और मनोवैज्ञानिक समस्याओं में दी जाने वाली दवा क्वेटियापिन है. इन दवाओं के सेवन से आंतों में मौजूद गुड बैक्टीरिया की संख्या और संरचना बदल सकती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

दवाएं कैसे असर डालती हैं
अध्ययन के अनुसार ये दवाएं न केवल माइक्रोबायोम की संरचना को बदल देती हैं बल्कि शरीर को ऐसे एंटी-माइक्रोबियल तत्व बनाने के लिए प्रेरित करती हैं, जो हमारे गुड बैक्टीरिया पर हमला करते हैं. इस तरह आंत का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है और शरीर कमजोर हो जाता है. इन सब वजहों से हानिकारक बैक्टीरिया को पनपने का मौका मिलता है और कई तरह की बीमारियां फैलाता है.

आंतों की सेहत कैसे दुरुस्त रखें
येल स्कूल ऑफ मेडिसिन के माइक्रोबियल पैथोजेनेसिस विभाग के प्रोफेसर प्रो. एंड्रयू गुडमैन कहते हैं, हमने देखा कि कुछ प्रिस्क्रिप्शन दवाएं भी संक्रमण का उतना ही जोखिम पैदा करती हैं जितना कि एंटीबायोटिक दवाएं. उनका मानना है कि गट माइक्रोबायोम की अच्छी समझ और उसका संतुलन बनाए रखना न सिर्फ बेहतर दवा प्रतिक्रिया के लिए जरूरी है, बल्कि यह संक्रमण से बचाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.ऐसे में अगर आप लंबे समय से किसी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप डॉक्टर से आंतों की सेहत पर उसके असर के बारे में बात करें. साथ ही फाइबर युक्त आहार, दही और प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ अपनाकर गट हेल्थ को मजबूत किया जा सकता है. इसके अलावा दवाएं लेते समय डॉक्टर की सलाह का पालन करें. बेवजह दवाओं का सेवन न करें. आंतों की सेहत के लिए फाइबर युक्त भोजन, दही और प्रोबायोटिक का सेवन बढ़ाएं. संतुलित खानपान से माइक्रोबायोम मजबूत रहता है और संक्रमण का खतरा कम होता है. इनपुट- आईएएनएस

LAKSHMI NARAYAN

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एंटीबायोटिक ही नहीं, ये दवाइयां भी बढ़ा देती है आंतों की बीमारियां

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