अमन कुमार ने बताया कि वे बीते लंबे समय से यकृत (लिवर) संबंधी समस्याओं से परेशान थे. सोनोग्राफी में उन्हें फैटी लिवर बताया गया था और ब्लड टेस्ट में बिलीरुबीन, एसजीपीटी, एसजीओटी का स्तर बढ़ा हुआ था. इसके चलते उन्हें अत्यधिक कमजोरी, गैस, एसिडिटी, भूख न लग्न, पाचन सही न होना और चक्कर जैसी कई गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. इस असाध्य लगने वाली बीमारी के इलाज के लिए उन्होंने कई बड़े अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन कहीं भी उन्हें संतोषजनक परिणाम नहीं मिल पा रहा था और उनकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी.
नाड़ीवैद्य डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया कि जब अमन कुमार उनके पास आए, तो उनकी स्थिति काफी गंभीर थी. डॉ. शर्मा ने अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए अमन कुमार का प्रकृति परीक्षण किया और पाया कि मरीज की यकृत (लिवर) की कार्यप्रणाली बुरी तरह प्रभावित थी. इसी कारण से उन्हें वो सभी समस्याएं हो रही थीं. आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, डॉ. शर्मा ने अमन को लिवर को साफ करने और उसे सामान्य रूप से कार्य करने में मदद करने के लिए विशेष आयुर्वेदिक औषधियाँ दीं.इसके साथ ही, उन्हें कुछ विशिष्ट योगाभ्यास सुझाए और कड़े परहेज का पालन करने को कहा गया.
नाड़ीवैद्य डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा ने लोगों में फैली एक बड़ी भ्रांति को दूर करते हुए कहा, ”यह चिकित्सा परिणाम यह स्पष्ट करता है कि आयुर्वेदिक दवा लिवर या किडनी को नुकसान नहीं पहुँचाती, बल्कि लिवर और किडनी को ठीक करती है, साथ ही उनसे संबंधित समस्याओं एवं रोगों को भी जड़ से दूर करती है.
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