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Paddy cultivation tips : खेती में इसके यूज को कम ही लोग जानते हैं, लेकिन ये है बड़ी अचूक. वो काम कर दिखाती है जो महंगे से महंगे कीटनाशक नहीं कर सकते. बस तरीका सही होना चाहिए, फिर देखिए कमाल.
गाजीपुर. फिटकरी का इस्तेमाल आमतौर पर कीचन, जलने या कीड़ों के काटने पर होता है, लेकिन खेती-बाड़ी में भी इसका यूज कर सकते हैं. फिटकरी का रासायनिक नाम पोटैशियम एलुमिनियम सल्फेट है, जो मिट्टी और फसलों की सेहत सुधारने के लिए एक कारगर कीटनाशक और पोषक तत्व है. गाजीपुर के पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. ओंकार सिंह के अनुसार, फिटकरी में साइट्रिक एसिड भी पाया जाता है, जो पौधों की वृद्धि और फलन में सुधार लाता है. खेती में फिटकरी के उपयोग का सबसे बड़ा फायदा कीट और रोग नियंत्रण है. जब फिटकरी को पानी में घोलकर खेतों में छिड़का जाता है, तो यह फंगस, बैक्टीरिया, दीमक और अन्य हानिकारक कीड़ों को खत्म कर फसल को रोग मुक्त रखता है.
दीमक, कीट रहेंगे दूर
यह मिट्टी के पीएच बैलेंस को भी ठीक करता है. यदि मिट्टी का पीएच सात से ऊपर है, तो फिटकरी के उचित मात्रा में उपयोग से ये कम हो जाता है. इससे पौधों को पोषक तत्व आसानी से मिलने लगते हैं. धान की खेती में फिटकरी का विशेष यूज है. यह जड़ गलन जैसी बीमारियों से बचाव करता है, दीमक और खतरनाक कीटों को नियंत्रित करता है, जिससे फसल का विकास बेहतर होता है और कल्लों की संख्या में वृद्धि होती है. फिटकरी का उपयोग पौधों को मजबूत, हरा-भरा और फूल-फल देने लायक बनाने में भी होता है. इसे उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.
इन खेतों के लिए खतरनाक
गाजीपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के पादप रोग वैज्ञानिक डॉ. ओंकार सिंह बताते हैं कि बुवाई से पहले 15 से 20 किलो फिटकरी को 200 लीटर पानी में 6 घंटे तक भिगोकर छिड़काव करना चाहिए. स्प्रे के लिए 230 से 300 ग्राम फिटकरी को 10 लीटर पानी में घोलकर फसलों पर लगाया जाता है. ध्यान रखें कि अम्लीय मिट्टी में फिटकरी का इस्तेमाल न करें और सीधे पत्तों पर छिड़काव न करें, क्योंकि इससे पत्ते जल सकते हैं. फिटकरी पानी को भी शुद्ध करता है, इसलिए सिंचाई के पानी में फिटकरी मिलाना पौधों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है. यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है जो किसानों को उनकी फसल की सेहत सुधारने में मदद करता है.
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