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INDIA JAPAN NAVAL RELATION: भारतीय नौसेना के वॉरशिप साउथ चाइना सी तक अपनी मौजूदगी दिखाते रहे है. भारत के सैन्य और रक्षा सहयोग एक्ट ईस्ट पॉलेसी के तहत बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. खास तौर पर जापान के साथ रिश्तों मे…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- भारतीय नौसेना प्रमुख जापान दौरे पर हैं.
- दिनेश त्रिपाठी ने मोगामी-क्लास फ्रिगेट का दौरा किया.
- भारत और जापान के नौसैनिक रिश्ते मजबूत हो रहे हैं.
क्या है मोगामी-क्लास फ्रिगेट?
यह जापान के मेरिटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (JMSDF) का मोगामी-क्लास वॉरशिप है. इसका नाम मोगामी नदी के नाम पर रखा गया है. यह दुनिया के 10 सबसे एडवांस फ्रिगेट में से एक है. इस फ्रिगेट को JMSDF में अप्रैल 2022 में कमीशन किया गया था. फिलहाल इसका होम पोर्ट योकोसुका नेवल बेस है. इसका वजन 5,500 टन है. यह 132 मीटर लंबा और 16 मीटर चौड़ा है. यह 30 नॉटिकल मील प्रति घंटा की रफ्तार से मूव कर सकता है. इसका डिजाइन ऐसा है कि दुश्मन समुद्र में इसे आसानी से नहीं ढूंढ सकता है. इसमें एक Mk-45 मॉड 4 नेवल गन, 8 टाइप 17 एंटी-शिप मिसाइलों के लिए 2 मिसाइल कैनिस्टर, 1 SeaRAM, टाइप 12 टॉरपीडो और एक हेलीकॉप्टर के लिए एक हैंगर भी है.
अपने जापान दौरे के दौरान नेवी चीफ ने जापान यूनाइटेड मरीन शिपयार्ड का भी दौरा किया. यह जापान के शिप बिल्डिंग का हब है. यहां पर उन्हें जापान के जहाज निर्माण की तकनीक, ऑटोमेशन और इंडस्ट्रियल एक्सपर्टीज के बारे में जानकारी दी गई. शिप बिल्डिंग के मामले में भारत भी अब दुनिया के बड़े देशों में शुमार हो गया है. भारत में हर तरह के वॉरशिप बनाने की क्षमता है. भारत की क्षमता की बात करें तो एयरक्राफ्ट कैरियर, डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट, सबमरीन सहित हर तरह के वॉरशिप देश में ही तैयार कर रहा है.
भारत और जापान के नौसैनिक रिश्ते
भारतीय नौसेना और जापान मेरिटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (JMSDF) के बीच रिश्ते पिछले सालों में और मजबूत हुए हैं. कई मल्टी नेशनल और साझा अभ्यास में दोनों नौसेना अपनी-अपनी रणनीति को साझा करते हैं. क्वाड देशों की मलाबार नौसैनिक अभ्यास की शुरुआत साल 1992 में भारत और अमेरिका के बीच हुई थी, उसके बाद 2015 में जापान और फिर 2020 में ऑस्ट्रेलिया इसमें शामिल हुआ. इसके अलावा साझा नौसैनिक अभ्यास JIMEX यानी जापान इंडिया मेरिटाइम एक्सर्साइज साल 2012 से लगातार जारी है. भारत और जापान के बीच मेरिटाइम सिक्योरिटी 2+2 डायलॉग भी आयोजित होती है. दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिक एक्सचेंज एग्रीमेंट भी है, जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के नौसैनिक लॉजिस्टिक को भी साझा कर सकते हैं. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा की रणनीतिक साझेदारी के तौर पर बढ़ रही है.
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