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- Guru Nanak Jayanti On 5th November, Motivational Story About Bad Habits, Guru Nanak Life Management Story In Hindi
3 घंटे पहले
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कल (5 अक्टूबर) कार्तिक पूर्णिमा है, इसी तिथि गुरुनानक देव जी की जयंती भी मनाई जाती है। गुरुनानक से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जिनमें जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए गए हैं। इन सूत्रों को अपनाने से हमारी सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। यहां जानिए गुरुनानक का एक ऐसा किस्सा, जिसमें बुरी आदतें छोड़ने का तरीका बताया है।
गुरु नानक देव जी के प्रवचन सुनने कई लोग रोज आते थे। इन लोगों में एक डाकू भी शामिल था। वह चुपचाप नानक जी के प्रवचन सुनता। एक दिन प्रवचन खत्न होने के बाद, वह डाकू नानक जी के पास पहुंचा और बोला कि गुरुदेव, मैं एक डाकू हूं। आपके वचन सुनता हूं, तो लगता है कि मुझे ये बुरा काम छोड़ देना चाहिए। लेकिन मैं क्या करूं? ये बुराई मैं छोड़ नहीं पा रहा हूं। आप बताइए, मैं कर सकता सकता हूं?
गुरु नानक जी ने कहा कि बुराई छोड़ने का एक उपाय है- संकल्प। तुम संकल्प करो कि मुझे यह बुराई छोड़नी है। मन को समझाओ कि ये रास्ता गलत है। धीरे-धीरे तुम ये बुरी आदत छोड़ दोगे।
डाकू ने नानक जी के सामने बुराई छोड़ने का संकल्प लिया और चला गया।
कुछ दिन बाद वह फिर आया। उसके चेहरे पर उदासी थी। उसने कहा कि गुरुदेव, मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन आदत नहीं छोड़ पा रहा हूं। मौका मिलते ही मैं डकैती कर लेता हूं।
नानक जी बोले कि ठीक है, आप एक काम और करो, जब भी कोई बुरा काम करो, उसे छिपाना मत। अपनी हर गलती, हर पाप को करीबी लोगों के सामने स्वीकार जरूर करो। जो कुछ गलत किया है, वो दूसरों को बताओ।
डाकू को ये उपाय भी आसान लगा। उसने सोचा कि यह तो बड़ा सीधा तरीका है। मैं अपना काम करता रहूंगा, बस लोगों को बता दूंगा।
जब उस डाकू ने ये तरीका अपनाना शुरू किया, तो बात कुछ और ही निकली। जब भी वह गलत काम करता और किसी को बताने की सोचता, उसका ही मन उसे रोक लेता, अब ये बात कहूंगा तो सब क्या सोचेंगे? लोग मुझसे डरेंगे, नफरत करेंगे।
धीरे-धीरे उसका मन बुराई से दूर होने लगा। उसे एहसास हुआ कि बुराई को छिपाना और स्वीकारना, दोनों में बड़ा फर्क है। एक दिन उसने दृढ़ संकल्प ले लिया कि मैं इस बुराई को छोड़ दूंगा? न रहेगा अपराध, न रहेगा बोझ। और उस दिन से डाकू ने हमेशा के लिए डकैती छोड़ दी।
जब वह फिर गुरु नानक जी के पास पहुंचा, तो उसके चेहरे पर शांति थी। उसने कहा कि गुरुदेव, आपने जो उपाय बताया था, उसने मुझे बदल दिया। जब भी मैं अपनी गलतियां बताने की कोशिश करता, मन भारी हो जाता था। फिर एक दिन मन ने ही कहा कि अब ये सब छोड़ दो और मैंने छोड़ दिया।
गुरु नानक जी ने कहा कि मनुष्य के भीतर जो चलता है, वही बाहर दिखाई देता है। जब तुम अपने सत्य को मन से अपनाते हो तो वह शुद्ध हो जाता है। अपने पापों को स्वीकारना आत्मा की सफाई का सबसे बड़ा साधन है। जब तक मन में छिपाव रहेगा, बुराई पलती रहेगी, लेकिन जैसे ही मन पारदर्शी बनता है, बुराई दूर हो जाती है।
गुरु नानक की सीख
इस कथा में जीवन प्रबंधन के सूत्र छिपे हैं। मनुष्य अपने जीवन को तभी सच्चे अर्थों में संभाल सकता है, जब वह अपने भीतर की बुराइयों का ईमानदारी से सामना करता है।
- बुराई को स्वीकारेंगे तो बदलाव आएगा
बुराई या गलती को स्वीकार करना ही परिवर्तन की शुरुआत है। जब हम अपने मन से ये कह देते हैं कि हाँ, मुझसे गलती हुई है, तब ही सुधार की प्रक्रिया शुरू होती है। छिपाने से मन भारी होता है, स्वीकारने से हल्का, इस सूत्र को अपनाने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।
- बुराई छोड़ने के लिए दृढ़ संकल्प करें
कोई भी बुरी आदत एक दिन में नहीं जाती, लेकिन दृढ़ संकल्प से मन को दिशा दी जा सकती है। हर दिन ये दोहराइए कि मैं बदलना चाहता हूँ। धीरे-धीरे ये विचार आपके अवचेतन मन में बैठ जाएगा और मन बुराई से दूर होने लगेगा।
- खुद से झूठ न बोलें
हम दूसरों से झूठ बोल सकते हैं, लेकिन खुद से नहीं। जब आप खुद के सामने सच्चे होते हैं, तब ही मन की सफाई संभव है। डाकू ने जब खुद से सवाल पूछे, तभी परिवर्तन शुरू हुआ। खुद से झूठ न बोलें, अपनी बुराई को ईमानदारी से स्वीकार करें।
- बुरी आदतें उजागर करें
मन की बुराई भी तब खत्म होती है जब हम उसे उजागर करते हैं। गलतियों को स्वीकारना आत्मिक शुद्धि का श्रेष्ठ उपाय है। अपराध-बोध को दबाने से मन अशांत होता है, लेकिन उसे स्वीकारकर छोड़ देने से मन शांत हो जाता है।
- परिवर्तन धीरे-धीरे होता है
बुराई का अंत धीरे-धीरे होता है। कोई भी व्यक्ति रातोंरात संत नहीं बनता, लेकिन हर दिन छोटे-छोटे कदम सही दिशा में उठाने से बड़ा बदलाव आता है। परिवर्तन धीरे-धीरे ही आता है।
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