पुलिस की नाकामी का एक बड़ा मामला सतना से सामने आया है। वारंट की तामीली नहीं होने से हत्या और डकैती जैसी जघन्य वारदातों को अंजाम देने वाला प्रमोद कुशवाह हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा होने के बावजूद जेल से छूटकर लापता हो गया।
By ADITYA KUMAR
Publish Date: Sun, 06 Jul 2025 09:24:09 PM (IST)
Updated Date: Sun, 06 Jul 2025 09:24:09 PM (IST)
नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना। पुलिस की नाकामी का एक बड़ा मामला सतना से सामने आया है। वारंट की तामीली नहीं होने से हत्या और डकैती जैसी जघन्य वारदातों को अंजाम देने वाला प्रमोद कुशवाह हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा होने के बावजूद जेल से छूटकर लापता हो गया। वहीं, उसके चार साथी सतना जेल में हत्या के ही मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
पूरे 13 साल तक वारंट तामील नहीं
लापरवाही इस कदर कि पुलिस एक-दो नहीं पूरे 13 साल तक वारंट को तामील नहीं कर सकी, जबकि इस दौरान आरोपित अन्य मामलों में पकड़े जाने के बाद जेल में ही बंद था। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीमाई क्षेत्रों में कुख्यात प्रमोद कुशवाहा डकैती, हत्या और अपहरण जैसी 23 वारदातों को अंजाम दे चुका है।
भोपाल जेल से रिहा हो गया बदमाश
सतना की मझगांव पुलिस के रिकॉर्ड में बदमाश अब तक फरार ही चल रहा है। दरअसल, एक मामले में आरोपित को सितंबर 2013 में पुलिस ने पकड़ा था, तब से वह जेल में बंद था। जेल के अंदर झगड़ा होने के कारण प्रमोद को 22 अप्रैल 2025 को सतना से भोपाल जेल स्थानांतरित कर दिया गया था। पुराने मामलों में रिहाई होने के कारण 09 मई 2025 को जेल से छूटकर सतना पहुंचा और फिर गायब हो गया। मझगांव पुलिस स्वीकार रही है कि प्रमोद हत्या के मामले में अब तक फरार है। आश्चर्यजनक यह है कि जब अदालत की सजा सुनाने के बाद वह जेल में बंद तो रहा लेकिन इस मामले में वह जेल में रहकर भी फरार ही रहा।
डकैती और हत्या का यह है मामला
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित पुराना खैर चितहरा गांव निवासी रामविशाल चौधरी 27 मई 2006 को रेलवे के मुकद्दम के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। 28 मई 2006 की रात लगभग दो बजे प्रमोद कुशवाहा (काछी) अपने साथियों सुखचैन कोल, राजकुमार, मिथलेश सिंह गौड़ और दादूलाल कोल के साथ पहुंचा। बदमाशों ने रामविशाल चौधरी के बेटे बसंत के सीने में बंदूक अड़ाकर गोली मार दी। स्वजन को धमकाकर पीटा। बदमाश 80 हजार रुपये की नकदी और जेवरात लेकर भाग गए थे।
प्रमोद व चार साथियों को आजीवन कारावास की सजा
इस मामले में न्यायालय ने डकैती और अपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम के तहत 19 जुलाई 2011 को प्रमोद व चार साथियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। फैसले के दौरान प्रमोद फरार था। वर्ष 2013 में सतना पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी दर्शाई भी थी, लेकिन मझगवां पुलिस ने जेल में रहने के बावजूद कभी हत्या के मामले का वारंट जेल में प्रस्तुत नहीं किया, जबकि इस वारदात में शामिल अन्य को पुलिस जेल का रास्ता दिखा चुकी है।
फिरौती की पूरी रकम न मिलने पर की थी छात्र की हत्या
प्रमोद काछी सहित अन्य ने मारुतिनगर निवासी छात्र सुधीर कुमार पांडेय का 23 जून 2013 को अपहरण कर हत्या कर दी थी। दिसंबर 2019 में द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश केएम अहमद ने पांचों बदमाशों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। प्रमोद अपने ही गांव के चूड़ामन प्यासी की हत्या के मामले में भी आरोपित रह चुका है। उस पर सतना और कटनी के थानों में मामले दर्ज हैं।
‘यह बात सही है कि डकैत प्रमोद काछी को जिस मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई, वह उस मामले में फरार है।’
– आदित्य नारायण धुर्वे, थाना प्रभारी मझगवां
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