Rupee vs Dollar: तनाव कम करने के प्रयासों के तहत 15 अगस्त को प्रस्तावित रूस और अमेरिका की बहुप्रतीक्षित बैठक भी भारतीय रुपये में जोश नहीं भर पाई. गुरुवार, 14 अगस्त 2025 को शुरुआती कारोबार के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 2 पैसे की गिरावट आई और यह टूटकर 87.46 के स्तर पर पहुंच गया. एक दिन पहले, भारतीय करेंसी में 0.32 प्रतिशत यानी 28 पैसे की मजबूत बढ़त दर्ज की गई थी. चालू वित्त वर्ष में अब तक रुपये में करीब 2.25 प्रतिशत का अवमूल्यन हो चुका है, हालांकि अगस्त में अब तक 0.18 प्रतिशत की मजबूती देखने को मिली है.
रुपये में क्यों गिरावट?
रुपये में गिरावट के पीछे कई कारण हैं. फिनरेक्स ट्रेज़र्स एलएलपी के हेड ऑफ ट्रेजरी और एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर अनिल कुमार भंसाली का कहना है कि आरबीआई की ओर से लगातार डॉलर की बिकवाली और हस्तक्षेप के कारण रुपये में ज्यादा गिरावट नहीं आई. इसके बावजूद, इस महीने विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 18,710 करोड़ रुपये की बिकवाली की है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव भी असर डाल रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को चेतावनी दी है कि यदि वे सीजफायर के लिए तैयार नहीं हुए तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. वहीं, अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने भी धमकी दी है कि अगर ट्रंप और पुतिन की बातचीत विफल रहती है, तो भारत पर पेनल्टी के तौर पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ को और बढ़ाया जा सकता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
HDFC सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार का कहना है कि रुपये ने 3 जुलाई के बाद से अपनी सबसे बड़ी एक दिन की तेजी दर्ज की. अमेरिकी मुद्रास्फीति में गिरावट के बाद फेडरल रिजर्व से सितंबर की ब्याज दर में कटौती की उम्मीदों के बीच डॉलर कमजोर हो गया. उन्होंने आगे बताया कि रुपये के प्रदर्शन को आगे बढ़ाने के कई घरेलू और क्षेत्रीय कारक थे, जिनमें भारतीय शेयर और अन्य एशियाई मुद्राओं में लाभ, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और घरेलू उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में गिरावट शामिल है.
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