मिलिए झारखंड के डिग्रीमैन से! 68 की उम्र में हैं चलता-फिरता यूनिवर्सिटी

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Story Of Satish Jha: 68 वर्षीय सतीश झा, महागामा निवासी, सेवानिवृत्त शिक्षक, वर्तमान में इस्कॉन अयोध्या से श्रीमद्भागवत में डिप्लोमा कर रहे हैं. उनकी शैक्षणिक यात्रा प्रेरणादायक है और समाज के लिए एक मिसाल है.

गोड्डाः गोड्डा से एक प्रेरणादायक खबर आई है, जो यह साबित करती है कि पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती. महागामा निवासी 68 वर्षीय सतीश झा इसका जीता-जागता उदाहरण हैं. आठ वर्ष पूर्व शिक्षक की नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उनकी पढ़ाई-लिखाई की रुचि कम नहीं हुई है. वर्तमान में वह अयोध्या स्थित इस्कॉन से श्रीमद्भागवत में एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स कर रहे हैं. साल भर पहले उन्होंने इसका नामांकन कराया था और नियमित रूप से ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेते हैं.

शैक्षणिक यात्रा बेहद लंबी और प्रेरणादायक

सतीश झा बताते हैं कि जब से उन्होंने पढ़ाई शुरू की, तब से उन्होंने कभी विराम नहीं लिया. उनकी शैक्षणिक यात्रा बेहद लंबी और प्रेरणादायक रही है. 1972 में उन्होंने महागामा के जयनारायण +2 उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की. इसके बाद एसपी कॉलेज दुमका से विज्ञान संकाय में इंटर की पढ़ाई की और जीव विज्ञान विषय से स्नातक की डिग्री हासिल की.

जानिए इनका सफर

स्नातक के बाद उन्होंने घर लौटकर स्टेशनरी की दुकान खोली और व्यवसाय शुरू किया. इसी बीच उनकी रुचि पत्रकारिता की ओर हुई और 1980 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा प्राप्त कर आकाशवाणी भागलपुर में कार्य किया. इस दौरान उन्होंने भागलपुर लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की और पटना में वकालत का नामांकन करा लिया. 1989 से 1994 तक उन्होंने गोड्डा व्यवहार न्यायालय में वकालत की प्रैक्टिस भी की.

इनके पास है ये डिग्रियां

इसके बाद उनका रुझान शिक्षा की ओर हुआ और 1994 में उन्हें सरकारी शिक्षक की नौकरी मिल गई. शिक्षक रहते हुए वे प्रशिक्षक भी बने और सेवा काल में ही देवघर बीएड कॉलेज से बीएड की डिग्री हासिल की. दिव्यांग बच्चों के स्किल डेवलपमेंट के लिए फाउंडेशन कोर्स किया और इग्नू से हिंदी विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री भी प्राप्त की. 2008 में उन्होंने हरिद्वार जाकर योग गुरु बाबा रामदेव के सानिध्य में योग प्रशिक्षक की डिग्री प्राप्त की. जनवरी 2018 में वे शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए, लेकिन पढ़ाई का क्रम नहीं रुका. सेवा निवृत्ति के बाद उन्होंने इस्कॉन अयोध्या से गीता में तीन वर्षीय डिग्री हासिल की और अब श्रीमद्भागवत में डिप्लोमा कर रहे हैं.

शिक्षा के क्षेत्र में देते हैं योगदान

वर्तमान में सतीश झा न केवल स्वयं पढ़ाई कर रहे हैं बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में योगदान भी दे रहे हैं. वह महागामा कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में जीव विज्ञान के शिक्षक हैं और खाली समय में कक्षा 10 से 12 तक के बच्चों को जीव विज्ञान की कोचिंग भी देते हैं. इसके अलावा धार्मिक कार्यों में भी सक्रिय रहते हैं और पूजा-पाठ तथा कुंडली निर्माण का कार्य करते हैं. सतीश झा की यह जीवन यात्रा समाज के लिए एक प्रेरणा है कि शिक्षा कभी उम्र की मोहताज नहीं होती. सीखने की चाह और जिज्ञासा यदि दिल में जिंदा हो, तो उम्र चाहे कोई भी हो, ज्ञान की प्यास हमेशा पूरी की जा सकती है.

Amit ranjan

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले…और पढ़ें

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