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- Margashirsha Month Starts From 6th November, Significance Of Margshirsh Month In Hindi, Rituals About Margshirsh Month
2 घंटे पहले
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हिन्दी पंचांग का नौवां महीना मार्गशीर्ष यानी अगहन आज (6 नवंबर) से शुरू हो गया है। ये महीना 4 दिसंबर तक रहेगा। श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए इस महीने का खास महत्व है, क्योंकि इसे श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है। स्वयं श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में अर्जुन से कहा है कि मासानां मार्गशीर्षोऽहम् यानी सभी महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं। इस कारण इस महीने में श्रीकृष्ण और उनके अवतारों की विशेष पूजा की जाती है।
मार्गशीर्ष नाम क्यों पड़ा?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, हिन्दी पंचांग में प्रत्येक महीने का नाम उस नक्षत्र पर आधारित होता है जो महीने की पूर्णिमा तिथि पर पड़ता है। हिन्दी पंचांग का नौवें महीने की पूर्णिमा पर मृगशिरा नक्षत्र रहता है। मृगशिरा को संस्कृत में मार्गशीर्ष कहते हैं, इस कारण ये महीना मार्गशीर्ष नाम से जाना जाता है। इस महीने का एक नाम अगहन भी है। हर साल ये महीना अंग्रेजी कैलेंडर के नवंबर से दिसंबर महीनों के बीच आता है।
मार्गशीर्ष मास में कौन-कौन से शुभ काम करें
- मार्गशीर्ष मास किए गए दान, जप, तप, स्नान और पूजा से अक्षय पुण्य मिलता है, ऐसा पुण्य जिसका शुभ असर जीवनभर बना रहता है।
- इस महीने में यमुना नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि जब वृंदावन की गोपियां श्रीकृष्ण प्राप्त करने के लिए ध्यान और तप कर रही थीं। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया था कि मार्गशीर्ष माह में यमुना में स्नान करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। इसीलिए आज भी इस माह में यमुना स्नान करने की परंपरा है।
- रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर दिन की शुरुआत करनी चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें, लोटे में जल के साथ कुमकुम, चावल और फूल भी डाल लेना चाहिए। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र जप करते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं।
- इस महीने में तिल-गुड़, अन्न, वस्त्र और गौदान करने की पंरपरा है। इसके अलावा जरूरतमंदों को भोजन कराने से पितृ देव तृप्त होते हैं। ऐसी मान्यता है।
- मार्गशीर्ष माह में बालकृष्ण या बालगोपाल के रूप में श्रीकृष्ण की पूजा करने का विशेष महत्व है। ये पूजा व्यक्ति को आनंद, समृद्धि और मानसिक शांति प्रदान करती है। ऐसे कर सकते हैं श्रीकृष्ण की पूजा…
- रोज सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह का अभिषेक करें। अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से कर सकते हैं। इसके लिए केसर मिश्रित दूध और पंचामृत का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
- भगवान को पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। तुलसी दल और माखन-मिश्री का भोग लगाएं। धूप, दीप, फूल और प्रसाद अर्पित कर कृं कृष्णाय नमः मंत्र का जप करें। अंत में श्रीकृष्ण की आरती करें। प्रसाद ग्रहण करें और दूसरों को भी बांटें।
- इस माह में मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन और गोकुल की यात्रा का भी विशेष महत्व है। कहा गया है कि जो व्यक्ति इस महीने मथुरा में यमुना स्नान करता है, उसे जाने-अनजाने में किए पाप कर्मों के फल नष्ट हो जाते हैं।
- इस महीने में गीता पाठ, विष्णु सहस्रनाम और गोविंद स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
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