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रातरानी का फूल अपनी मोहक सुगंध के लिए जाना जाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह पौधा औषधीय गुणों से भी भरपूर है. बघेलखंड में इसकी पत्तियों से काढ़ा बनाकर सर्दी, खांसी और दमा जैसी बीमारियों में उपयोग किया जाता है. वहीं इसकी तेज़ खुशबू सांपों को भी आकर्षित कर सकती है.
रातरानी जिसे चांदनी या नाइट ब्लूमिंग जैस्मिन जैसे नामों से भी जाना जाता है, अपनी तीव्र खुशबू के चलते बाकी फूलों की तुलना में एक अलग स्थान रखता है. यह पौधा रात में खिलता है और सुबह मुरझा जाता है. बघेलखंड में इसे त्योहारों व पारंपरिक पूजा में उपयोग किया जाता है, वहीं डेकोरेशन, गुलदस्ता जैसे आदि कामो में भी प्रयोग भारी मात्रा में होता है.

आरएचईओ मीनाक्षी वर्मा ने लोकल 18 को बताया कि रातरानी में प्राकृतिक मिश्रण जैसे फ्लेवोनोइड्स और एल्कलॉइड्स पाए जाते हैं, जो दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होते हैं. इस पौधा का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में बघेलखंड के लोग सर्दी, खांसी और अस्थमा जैसी समस्याओं के इलाज में इस्तेमाल करते आए हैं. साथ ही इसका काढ़ा आज भी आयुषधीय रूप में गांवों में लोकप्रिय है.

रातरानी का पौधा घर में लगाने से न केवल सुंदरता बढ़ती है, बल्कि वातावरण भी सुगंधित और शांतिपूर्ण होता है. इसकी खुशबू तनाव और अनिद्रा जैसी मानसिक समस्याओं में राहत देती है. वास्तुशास्त्र में भी इसे सकारात्मक ऊर्जा फैलाने वाला पौधा माना जाता है.

रातरानी के पत्तों से बना काढ़ा मधुमेह के नियंत्रण में मदद कर सकता है. वहीं इसकी पत्तियों का लेप जोड़ों के दर्द में राहत देने वाला माना जाता है. बघेलखंड के कई घरों और ग्रामीण इलाकों में आज भी बुज़ुर्ग इसकी पत्तियों का घरेलू इलाज के रूप में उपयोग करते हैं.

उन्होंने बताया कि रातरानी को उगाने के लिए छायादार स्थान सबसे उपयुक्त माना जाता है. यह पौधा हल्की रेतीली और जैविक खाद मिली मिट्टी में अच्छी तरह बढ़ता है. इसे झाड़ियों के नीचे या बगीचे के कोनों में लगाया जा सकता है, जहां सीधी धूप ना पड़े. वहीं इसकी गर्मियों में नियमित सिंचाई जरूरी है.

सतर्क करने वाली बात यह है कि रातरानी की तीव्र खुशबू कई कीटों को आकर्षित करती है जिनके पीछे सांप भी वहां पहुंच सकते हैं. वहीं स्थानीय किंवदंतियों की मानें तो रात में इसकी गंध सांपों को खींच सकती है इसलिए इसे घर के मुख्य प्रवेश द्वार से दूर लगाना बेहतर होता है.

रातरानी के फूलों से बना तेल खुजली और त्वचा संक्रमण में लाभकारी होता है. बघेलखंड की महिलाओं द्वारा परंपरागत रूप से इसका प्रयोग शरीर पर लगाने के लिए किया जाता रहा है. यह तेल एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है और जलन को भी शांत करता है.

बघेलखंड क्षेत्र में रातरानी का पौधा केवल एक सजावटी पौधा नहीं, बल्कि एक पारंपरिक क्रिया का हिस्सा भी बन गया है. यहां यह पौधा घर के आंगन, मंदिरों और मुख्य द्वारों के पास लगाया जाता है. मान्यता है कि इसकी सुगंध नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और सुख शांति लाती है.