Symptoms of Breast Cancer in Males: यह सच है कि जब भी स्तन कैंसर की बात आती है तो सबसे पहले महिलाओं का ही जिक्र होता है. क्योंकि यह महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है. 95 फीसदी से ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामले महिलाओं में ही मिलते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो यह पूरी सच्चाई नहीं है, क्योंकि पुरुषों को भी स्तन कैंसर हो सकता है. हां ये जरूर है कि, यह महिलाओं की तुलना में बहुत कम होता है. आंकड़ों के मुताबिक पूरे जीवनकाल में 1000 पुरुषों पर सिर्फ एक पुरुष को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है. इसलिए पुरुषों को भी ब्रेस्ट कैंसर को लेकर अलर्ट रहना चाहिए.
क्या महिलाओं से अधिक घातक है मेल ब्रेस्ट कैंसर?
उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की एमडी डॉ. रिचु शर्मा और कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ.एनबी बताती हैं कि, हां…महिलाओं की तुलना में पुरुषों के स्तन का कैंसर ज्यादा घातक है. इसकी खास वजह यह है कि, महिलाओं की तरह पुरुष ब्रेस्ट कैंसर के लिए मेमोग्राफी नहीं करा सकता है. इसके अलावा, पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जानकारी का भी अभाव है. पुरुष अक्सर इन बातों पर कभी ध्यान नहीं देते, इसलिए यदि किसी पुरुष को ब्रेस्ट कैंसर होता है तो जब तक पता लगता तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.
जोखिम को समझना जरूरी
दुनियाभर में पुरुष स्तन कैंसर के कुल मामलों में 1 प्रतिशत से भी कम हैं. हालांकि, पुरुष स्तन कैंसर दुर्लभ माना जाता है. निदान की औसत आयु आमतौर पर 60 से 70 वर्ष के बीच होती है, हालांकि BRCA2 जैसे कुछ आनुवंशिक उत्परिवर्तनों वाले पुरुषों में यह पहले भी हो सकता है. नियमित जांच के अभाव और कम जन जागरूकता का मतलब है कि जब तक कोई पुरुष चिकित्सा सहायता लेता है, तब तक रोग पहले ही गंभीर हो चुका होता है.
शुरुआती लक्षणों की अनदेखी पड़ सकती भारी
शुरुआत में लक्षण अक्सर हल्के होते हैं. निप्पल के नीचे या उसके पास एक दर्द रहित गांठ इसका सबसे आम लक्षण है. इसके साथ कभी-कभी निप्पल का सिकुड़ना, त्वचा में बदलाव या स्राव भी हो सकता है. चूंकि, स्तन कैंसर आमतौर पर पुरुषों से जुड़ा नहीं होता, इसलिए इन शुरुआती लक्षणों को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है. कुछ पुरुष शर्मिंदगी या इस धारणा के कारण डॉक्टर से सलाह लेने से हिचकिचाते हैं कि स्तन कैंसर “महिलाओं की बीमारी” है.
पुरुष स्तन कैंसर का इलाज काफी हद तक महिलाओं के इलाज जैसा ही है और इसमें सर्जरी, रेडिएशन, कीमोथेरेपी और हार्मोन (एंडोक्राइन) थेरेपी शामिल हो सकती है. एस्ट्रोजन को अवरुद्ध करने वाला टैमोक्सीफेन विशेष रूप से प्रभावी है, क्योंकि अधिकांश पुरुष स्तन कैंसर एस्ट्रोजन रिसेप्टर-पॉजिटिव होते हैं.
पुरुष ब्रेस्ट कैंसर की पहचान ऐसे करें
ब्रेस्ट टिशू में बदलाव: ऑन्कोलॉजिस्ट के मुताबिक, पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर की सबसे बड़ी पहचान यह है कि पुरुषों के ब्रेस्ट के टिशू में बदलाव होने लगता है. यानी ब्रेस्ट के पास गांठ उभर आता है. यह गांठ किसी तरह का दर्द भी नहीं देता, इसलिए लोग इसे मामूली चीज समझ बैठते हैं. लेकिन ब्रेस्ट के आसपास अगर किसी तरह का बदलाव दिखें जैसे कि ब्रेस्ट के साइज में अंतर, इससे डिस्चार्ज होना, रंग बदलना तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
निप्पल में असमान्यता: अगर निप्पल के रंग, रूप, आकार में किसी तरह का परिवर्तन, ब्लीडिंग हो, दूध के अलावा अन्य तरह की चीजें डिस्चार्ज हो तो ये सब ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हो सकते हैं. अगर वहां स्किन के टेक्सचर में भी अंतर दिखें तो इसे नजरअंदाज न करें. शुरुआती दौर में ब्रेस्ट कैंसर पूरी तरह ठीक हो सकता है.
स्किन के रंग में बदलाव: अगर ब्रेस्ट के आसपास के रंग में बदलाव दिखें तो तुरंत अलर्ट हो जाएं. यह ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है. इसलिए हमेशा अपनी छाती को खुद से देखते रहें.
दर्द और ऐंठन: यदि ब्रेस्ट में लगातार कई दिनों से दर्द कर रहा है या ऐंठन हो रहा है और यह दवा खाने से ठीक नहीं हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. पुरुषों को अक्सर लगता है कि यह लक्षण किसी अन्य चीज के हैं लेकिन अगर यह लंबे समय से हो रहा है तो यह ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है.
सूजन: ब्रेस्ट कैंसर में लिंफ नोड फूल जाता है. लिंफ नोड कंधे के कॉलर बोन और हाथ के नीचे होता है. इस स्थिति में सूजन हो सकती है. इससे ब्रेस्ट के पास भी सूजन दिख सकता है. हालांकि लिंफ नोड के फूलने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन डॉक्टर से दिखाना जरूरी है.