Last Updated:
Success Story: आशीष दुबे का चयन मॉस्को के जवाहर लाल नेहरू संस्कृति केंद्र में संगीत प्रशिक्षण देने के लिए हुआ है. यह उनके परिवार और देश के लिए गर्व का क्षण है.
परिवार में छह पीढ़ियों से संगीत की विरासत
आशीष दुबे ने लोकल 18 से विशेष बातचीत में बताया कि संगीत की इस यात्रा की शुरुआत बचपन में ही हो गई थी. पांच वर्ष की आयु से ही घर से इसकी शुरुआत हुई. आशीष दुबे अपने परिवार की छठी पीढ़ी हैं. उन्होंने बताया कि उनके दादा गणेश दुबे (प्रसिद्ध बांसुरी वादक), पिता जितेंद्र दुबे (संगीत शिक्षक), चाचा पंकज दुबे, सुनील दुबे और प्रवीण दुबे (सभी संगीत शिक्षक) ने इस कला की अमूल्य शिक्षा दी. बड़े भाई स्नेह प्रभात दुबे भी संगीत शिक्षक हैं, जबकि छोटे भाई स्नेह प्रकाश दुबे दिल्ली विश्वविद्यालय से संगीत में मास्टर्स कर रहे हैं. मां संगीता दुबे और बहन श्वेता दुबे भी इस सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा हैं.
उन्होंने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर, धनबाद से प्राप्त करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बैचलर इन म्यूजिक की पढ़ाई की. इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से संगीत में एमए, एमफिल पूरा किया और वर्तमान में संगीत में पीएचडी शोधरत हैं. उन्होंने बताया कि गुरु परंपरा के अंतर्गत उन्हें पंडित कैवल्य कुमार गुरव (किराना घराना) और प्रो.जयंत खोत (ग्वालियर घराना) जैसे प्रख्यात गुरुओं से पिछले 10 वर्षों से संगीत सीखने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है.
विदेश में भी पहुंचाएंगे भारतीय शास्त्रीय संगीत
उन्होंने बताया कि मॉस्को में भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण देकर वे न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को विदेशों में पहुंचाएंगे, बल्कि भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा को नए आयाम भी देंगे. यह उपलब्धि उनकी वर्षों की साधना, परिवार की प्रेरणा और गुरुओं के आशीर्वाद का परिणाम है.
मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले…और पढ़ें
मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले… और पढ़ें
.