इति पांडे की कहानी न सिर्फ़ भारतीय रेलवे की बदलती तस्वीर को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि समर्पण, दूरदर्शिता और सेवा भावना से कैसे कोई अधिकारी बदलाव ला सकता है. वह 1995 बैच की अधिकारी हैं और यात्री सेवा व माल ढुलाई दोनों क्षेत्रों में उनका अनुभव गहरा और व्यापक है.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से MA की डिग्री
रेलवे सेवा में एक प्रेरणादायक सफर
इससे पहले, पांडे भुसावल मंडल की मंडल रेल प्रबंधक (DRM) के रूप में कार्य कर रही थीं. वहां उन्होंने “रुद्र” नाम की एक अनूठी स्वास्थ्य सेवा पहल शुरू की, जो एक हॉस्पिटल ऑन व्हील्स की तरह काम करती है. इसका मकसद था दूरदराज के क्षेत्रों में रेल कर्मचारियों और उनके परिवारों तक चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाना. यह योजना काफी सराही गई है.
विभिन्न पदों पर उल्लेखनीय सेवाएं
चीफ कॉमर्शियल मैनेजर (यात्री सेवाएं) – मध्य रेलवे
चीफ कॉमर्शियल मैनेजर (माल ढुलाई)
डिप्टी चीफ कॉमर्शियल मैनेजर
सीनियर मंडल कॉमर्शियल मैनेजर
असिस्टेंट कॉमर्शियल मैनेजर
योजनाओं और बदलावों की अगुवा
इति पांडे ने मुंबई में अनारक्षित टिकट प्रणाली (UTS) को लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाई. इसके साथ ही, उन्होंने एलफिंस्टन रोड भगदड़ के पीड़ितों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के मुआवज़ा दिलाने में भी बड़ी भूमिका निभाई, जो रेलवे इतिहास में एक दुर्लभ उदाहरण था.
सम्मानों की लम्बी सूची
रेल मंत्रालय का उत्कृष्ट सेवा पुरस्कार (2007)
महिला उपलब्धि पुरस्कार (2016)
दो जनरल मैनेजर पुरस्कार
राजभाषा रजत पदक (2025) — हिंदी के उत्कृष्ट उपयोग के लिए
खेल के मैदान में भी अव्वल
अपनी नौकरी से इतर, इति पांडे एक मैराथन धावक भी हैं. वर्ष 2023 में उन्होंने कॉमरेड्स मैराथन (88 किमी) दक्षिण अफ्रीका में 11 घंटे 47 मिनट में पूरी की और ऐसा करने वाली भारत की एकमात्र महिला सिविल सेवक बनीं. यह उनकी मानसिक और शारीरिक दृढ़ता का प्रतीक है. दक्षिण मध्य रेलवे की वाणिज्यिक जिम्मेदारी संभालने के बाद उम्मीद की जा रही है कि इति पांडे के नेतृत्व में यात्री सुविधाएं बेहतर होंगी, माल ढुलाई प्रणाली और मज़बूत होगी और प्रोफेशनल्स इनोवेशन को और बढ़ावा मिलेगा.
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