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राजनीति के लिए चर्चित अमेठी जिला केवल सियासी पहचान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र कई ऐसी खास शख्सियतों की भी भूमि रहा है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर अमेठी का नाम देश और दुनिया में रोशन किया है. खेल, विज्ञान, साहित्य, कला और संस्कृति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अमेठी से निकले लोगों ने न केवल अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया, बल्कि जिले को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई.
यह है अमेठी जिले के भीमी गांव की रहने वाली सुधा सिंह, जिन्होंने एथलेटिक्स के क्षेत्र में अपना परचम लहराया. कम उम्र में खिलाड़ी बनीं, आज वर्तमान समय में इनके हुनर और जज्बे को पूरा देश सलाम करता है. पूरे भारत के साथ विदेश में भी इन्होंने अपना नाम रोशन किया है और अमेठी की पहचान बनाई है. सुधा सिंह पद्मश्री, अर्जुन अवार्ड, यश भारती सहित कई बड़े पुरस्कार से सम्मानित होने वाली अमेठी की पहली महिला हैं.

रुचि सिंह अमेठी का वह नाम हैं जिन्होंने जिले का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है. रुचि सिंह एक अंतरराष्ट्रीय शूटर हैं और इन्होंने कई बड़े महोत्सवों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर निशानेबाजी से दिग्गज खिलाड़ियों को परास्त किया है. उनके पिता एक किसान हैं, लेकिन, सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने जो गौरव हासिल किया है, वह मिसाल बन चुका है. आज रुचि सिंह का नाम देश ही नहीं, विदेशों में भी गर्व से लिया जाता है.

कमल मौर्य, मात्र 22 साल की उम्र में वैज्ञानिक बनकर अमेठी का नाम पूरे देश में रोशन कर चुके हैं. एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले कमल के पिता अध्यापक हैं और आर्थिक स्थिति भी ज्यादा अच्छी नहीं रही, लेकिन कमल ने कठिन संघर्ष और निरंतर मेहनत के दम पर वह मुकाम हासिल किया है, जो हर किसी के बस की बात नहीं. कमल आज युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. खास बात यह है कि जिस गांव को कभी विवादों के लिए जाना जाता था, आज वही गांव कमल की वजह से पहचान बना चुका है.

मनोज मुंतशिर, अमेठी की वह शख्सियत हैं जिन्होंने अपने शब्दों की ताकत से न केवल बॉलीवुड में बल्कि विश्व पटल पर भी अमेठी का नाम रोशन किया है. “गलियां तेरी गलियां”, “तेरी मिट्टी में मिल जावा” जैसे दिल छू लेने वाले गीतों के रचनाकार मनोज, आज हिंदी सिनेमा के सबसे चर्चित गीतकारों में गिने जाते हैं. उन्होंने ‘कौन बनेगा करोड़पति” जैसे प्रतिष्ठित शो के भारतीय संस्करण की पटकथा भी लिखी है. मनोज मुंतशिर को उनके बेहतरीन लेखन कार्य के लिए यश भारती सहित कई गोल्ड और सिल्वर मेडल से नवाजा गया है. उनका योगदान न सिर्फ कला जगत में, बल्कि अमेठी की सांस्कृतिक पहचान को भी ऊंचाइयों तक ले गया है.

यह है अमेठी की बेटी श्वेता बरनवाल, जिन्होंने दो साल पहले वैज्ञानिक बनकर अपने परिवार और जिले का नाम रोशन किया. श्वेता चंद्रयान-2 मिशन का भी हिस्सा रही हैं. एक सामान्य परिवार से आने वाली श्वेता आज ISRO (इसरो) में कार्यरत हैं और अपने काम के ज़रिए अमेठी की पहचान को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में स्थापित कर रही हैं. उनकी यह उपलब्धि ना सिर्फ उनके परिवार के लिए गर्व का विषय है, बल्कि अमेठी की बेटियों के लिए भी प्रेरणा है.
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